नई दिल्ली। “अब उन सभी अधिकारियों पर सख्ती से कार्रवाई होगी। जिन्होंने नियमों का अनुपालन नहीं किया। आगामी दिनों में कइयों पर गाज गिरने जा रही है।’’ यह बयान है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का, जो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद दिया था, जिसमें कोर्ट ने उनकी सरकार को दिल्ली का असली बॉस करार दिया था और केंद्र की मोदी सरकार को स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें बेवजह दिल्ली सरकार के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई संवैधानिक हक नहीं है। वहीं कोर्ट के इस फैसले के बाद सीएम केजरीवाल ने जैसे ही यह बयान दिया, तो दिल्ली के प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया। किसी की नींद उड़ गई, तो किसी के होश फाख्ता हो गए। इस बयान के बाद समय पर दफ्तर ना पहुंचने वाले कारिंदे समय पर दफ्तर पहुंचने लगे। इस बयान के बाद जिन्हें लापरवाही की तलब लग गई थी, वो अब खौफ में आ गए।
उधर, खौफ का आलम कुछ ऐसा है कि केजरीवाल सरकार से ज्यादा इनके कारिंदे एक्शन में दिख रहे हैं। सबको यही डर सता रहा है कि ना जाने कब किसका नंबर आ जाए और उन्हें दफ्तर से सीधा हमेशा के लिए घर ही भेज दिया जाए, इसलिए सब सतर्क हो गए हैं, लेकिन अफसोस सतर्क होने से पहले ही आशीष मोरे पर गाज गिर गई। ये वही मोरे हैं, जिन्हें सौरभ भारद्वाज ने सर्विसेज विभाग के सचिव पद से हटाया था। वहीं, अब उन्हें दिल्ली सरकार की तरफ से कारण बताओ नोटिस भी थमाया गया है।
दरअसल, इन पर आरोप है कि यह दफ्तर समय पर नहीं पहुंचते थें और नियमों को दरकिनार कर कोई भी काम करते हैं। इनके लिए नियम मानो सिर्फ कागज में लिखी कोई लिखावट हो, इससे ज्यादा कुछ नहीं। इतना ही नहीं, साहबजादे दफ्तर में बिना किसी को इत्तला किए नदारद हो जाते थे, जिसे संज्ञान में लेने के बाद अब दिल्ली सरकार ने उनके खिलाफ यह कार्रवाई की है। बहरहाल, अब दिल्ली सरकार की ओर से क्या कुछ कार्रवाई की जाती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।