गुवाहाटी। एक समय कांग्रेस ने असम से मनमोहन सिंह को राज्यसभा सांसद बनवाकर देश के पीएम पद तक पहुंचाया था। मनमोहन सिंह बतौर असम के राज्यसभा सांसद साल 2004 से 2014 के मई महीने तक पीएम रहे थे। अब हालत ये है कि उसी असम से कांग्रेस का एक भी राज्यसभा सांसद नहीं है। हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में असम में कांग्रेस का उम्मीदवार हार गया। इस पर बिफरी कांग्रेस ने अपनी सहयोगी ऑल इंडिया यूनाइटेड फ्रंट AIUDF पर दगाबाजी कर बीजेपी की मदद करने का आरोप लगाया है। राज्यसभा चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी के पवित्र मार्गरीटा को 46 वोट मिले और उसकी सहयोगी यूपीपीएल प्रत्याशी रवंगवरा नारजारी भी 44 वोट पाकर जीत गए। जबकि, कांग्रेस के उम्मीदवार रिपुन बोरा को सिर्फ 35 वोट हासिल हुए। एक वोट रद्द हो गया।
इस पर असम कांग्रेस ने बयान जारी कर आरोप लगाया है कि राज्यसभा चुनाव की वोटिंग से पहले एआईयूडीएफ के पांच विधायक करीब 8 बजे सीएम हिमंत बिस्व सरमा के आवास पर गए थे। कांग्रेस ने कहा है कि ये विश्वासघात है और इन विधायकों ने असम की छवि खराब की है। कांग्रेस ने कहा है कि सच्चाई की जीत होगी। उसने कहा कि बीजेपी ने एआईयूपीएफ की मदद से राज्यसभा में दोनों सीटें जीतीं। चुनावी गणित की बात करें, तो कांग्रेस के उम्मीदवार रिपुन सभी विपक्षी दलों के सामूहिक समर्थन से जीत सकते थे। एआईयूडीएफ ने रिपुन को समर्थन की भी घोषणा की थी, लेकिन क्रॉस वोटिंग में वो हार गए।
असम विधानसभा के अध्यक्ष विश्वजीत दायमारी से भी कांग्रेस ने शिकायत की है। इस पर दायमारी ने जांच के लिए समिति बनाने का फैसला किया है। समिति देखेगी कि क्या राज्यसभा की दो सीट के नतीजे आने से कुछ घंटे पहले एआईयूडीएफ के 5 विधायक सीएम बिस्व सरमा से मिले थे। कांग्रेस के मुताबिक ये विधायक सुबह 6 बजे सीएम के आवास पहुंचे और 8.30 बजे तक वहीं रहे। सीएम ने खुद भी इसकी जांच की मांग विधानसभा अध्यक्ष से की थी।