newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Atique Ahmed-Mayawati : गेस्ट हाउस कांड में अतीक अहमद था शामिल ? मायावती के अतीक से नाराजगी की वजह क्या थी ?

Atique Ahmed-Mayawati : बसपा के कई विधायकों पर भी हमला किए जाने की बात कही जाती है। मायावती ने जैसे तैसे खुद को वहां से बाहर निकाला और एक कमरे में खुद को बंद कर लिया। बाद में ये पूरी घटना ही गेस्ट हाऊस कांड के नाम से चर्चित हुई। चूंकि अतीक पर भी ये आरोप था कि वो सपा के कार्यकर्ताओं के साथ वहां मौजूद था इसी के चलते, मायावती ने कभी भी अतीक अहमद को अपने आगे फटकने नहीं दिया और जब वह 2007 में बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बनीं तो अपनी ही पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक राजू पाल की हत्या मामले में अतीक पर कानून शिकंजा कसवा दिया, जिसके बाद सांसद अतीक अहमद को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर होना पड़ा।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अपराध की दुनिया में खौफ का दूसरा नाम रहे अतीक अहमद की एक वक्त सियासी दुनिया में भी तूती बोलती थी। अतीक का खौफ इतना था कि उसके सामने चुनावी रण में उतरने वाले हर प्रत्याशी को अपनी जान जाने का डर सताता था। जब अतीक अहमद माफ़िया से माननीय बना तो उसकी एक इंसान से कभी नहीं बनी, वो थी बसपा सुप्रीमो मायावती। बहुजन समाज पार्टी के भीतर अतीक को लेकर मायावती ने पहले ही साफ़ कर दिया था कि अतीक की उनके दिल में या पार्टी में कोई जगह नहीं है। मायावती की इस नाराजगी के पीछे एक बेहद बड़ा कारण था।

दरअसल ये साल 1995 की बात है, जब अतीक अपराध की दुनिया में अपना एक अलग नाम बना चुका था, और अब वो सियासी दुनिया में भी कदम रखने को लेकर बेकरार था। इसी समय सपा और बसपा ने गठबंधन में 1995 में यूपी में पंचायत चुनाव हुए, इस चुनाव में सपा ने 50 में से 30 जिलों में जीत दर्ज की। लेकिन सपा की सहयोगी बहुजन समाज पार्टी को महज 1 सीट पर ही जीत हासिल हुई। 9 सीटों पर बीजेपी ने झंडा लहरा दिया तो 5 पर कांग्रेस ने फतह दर्ज की। मायावती को ये बात बिलकुल रास नहीं आई। मायावती ने खुद को ठगा हुआ सा महसूस किया।

1 जून 1995 को क्या हुआ था ?

1 जून 1995 के बात है जब प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी, बाबरी विध्वंश के बाद यूपी में सियासी हवाएं लगातार गर्म थी, इस बीच मुलायम सिंह को यह खबर लगी कि बसपा समर्थन वापस लेकर बीजेपी के सहयोग से सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए गवर्नर मोतीलाल बोरा से मिलने के लिए तैयार है। अगले ही दिन मायावती ने 2 जून, 1995 को लखनऊ के मीराबाई स्टेट गेस्टहाउस में बसपा विधायकों और सांसदों की एक मीटिंग बुलाई। इसी दौरान कथित तौर पर अतीक अहमद समेत समाजवादी पार्टी के करीब 200 से ज्यादा कार्यकर्ता और विधायक गेस्ट हाउस में पहुंचे, जहां मायावती बैठक कर रही थी। इस दौरान मायावती को गलियां दी गई, उन्हें मारने का भी प्रयास किया गया।

Mayawati

इस दौरान बसपा के कई विधायकों पर भी हमला किए जाने की बात कही जाती है। मायावती ने जैसे तैसे खुद को वहां से बाहर निकाला और एक कमरे में खुद को बंद कर लिया। बाद में ये पूरी घटना ही गेस्ट हाऊस कांड के नाम से चर्चित हुई। चूंकि अतीक पर भी ये आरोप था कि वो सपा के कार्यकर्ताओं के साथ वहां मौजूद था इसी के चलते, मायावती ने कभी भी अतीक अहमद को अपने आगे फटकने नहीं दिया और जब वह 2007 में बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बनीं तो अपनी ही पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक राजू पाल की हत्या मामले में अतीक पर कानून शिकंजा कसवा दिया, जिसके बाद सांसद अतीक अहमद को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर होना पड़ा।