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Ayodhya Ram Temple Lord Ramlala Pran Pratishtha: आ गई मंगल वेला!, 500 साल के इंतजार के बाद आज फिर अपने मंदिर में विराजेंगे भगवान रामलला

Ayodhya Ram Temple Lord Ramlala Pran Pratishtha: भगवान रामलला के लिए मंदिर बनाने का रास्ता 2019 में उस वक्त खुला था, जब सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बाबरी मस्जिद को मंदिर की जगह बनाया गया था। हिंदू पक्ष का दावा था कि 1528 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने राम मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई थी।

अयोध्या। वो मंगल वेला आ गई! 500 साल का इंतजार खत्म हुआ। भगवान रामलला एक बार फिर अपने मंदिर में भक्तों को दर्शन देंगे। आज दोपहर अयोध्या के भव्य श्रीराम मंदिर में भगवान रामलला के नए विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इस प्राण प्रतिष्ठा के लिए मुहूर्त 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकेंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड का है। प्राण प्रतिष्ठा से पहले पूजा-पाठ होगा। गर्भगृह में होने वाली इस पूजा में पीएम नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे। मोदी के अलावा आज समाज के सभी वर्गों से 14 यजमान भी अपनी पत्नियों के साथ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले हैं। प्राण प्रतिष्ठा के लिए राम मंदिर को फूलों से सजाया गया है। देश-विदेश के अलग-अलग हिस्सों से फूल लाकर भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को रंगीन और सुगंधित बनाने के सभी प्रयास श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने किए हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी 10.25 मिनट पर अयोध्या के महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरेंगे। वहां से हेलीकॉप्टर के जरिए वो श्रीराम जन्मभूमि के पास पहुंचेंगे और पैदल ही राम मंदिर जाएंगे। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी दोपहर 1 बजे सार्वजनिक सभा स्थल जाएंगे और वहां से संबोधन देंगे। पीएम से पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का भी संबोधन होगा। सभा को संबोधित करने के बाद पीएम मोदी कुबेर टीला स्थित भगवान शिव के मंदिर जाएंगे। आज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर मोदी करीब 4 घंटे अयोध्या में रहने वाले हैं।

भगवान रामलला के लिए मंदिर बनाने का रास्ता 2019 में उस वक्त खुला था, जब सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बाबरी मस्जिद को प्राचीन राम मंदिर की जगह बनाया गया था। हिंदू पक्ष का दावा था कि 1528 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने राम मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई थी। बाबरी मस्जिद की जगह राम मंदिर बनाने के लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने रथ यात्रा की थी। फिर 1990 में कारसेवकों ने बाबरी के ढांचे पर धावा बोला था। इसके एक दिन बाद अयोध्या में पुलिस ने फायरिंग की थी। जिसमें तमाम कारसेवकों की जान गई थी। 6 दिसंबर 1992 को एक बार फिर कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद पर चढ़कर उसका विध्वंस कर दिया था। वहीं, कोर्ट में कानूनी लड़ाई भी जारी रही थी और फिर राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ था।