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Arvind Kejriwal: तिहाड़ जेल जाने से पहले केजरीवाल ने मांगी नीरजा चौधरी द्वारा लिखित पुस्तक “हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड”, क्या है इसमें ख़ास?

Arvind Kejriwal: जेल जाने से पहले मुख्यमंत्री केजरीवाल ने रामायण, महाभारत और भगवद गीता के अलावा पत्रकार नीरजा चौधरी द्वारा लिखित पुस्तक “हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड” पढ़ने का अनुरोध किया, जिससे हम पहले से ही परिचित हैं। लेकिन इस किताब में क्या है? पत्रकार नीरजा चौधरी द्वारा लिखित यह पुस्तक इस बात पर प्रकाश डालती है कि भारत के प्रधानमंत्रियों ने कैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इसमें प्रधानमंत्री की स्थिति और मन:स्थिति पर प्रकाश डालते हुए पूरी प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की गई है।

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें न्यायिक हिरासत के तहत 15 दिनों के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया गया है। ईडी ने तमाम तरह के सबूतों को पेश करते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट से केजरीवाल की न्यायिक हिरासत को लेकर अनुमति मांगी थी जिसपर कोर्ट ने आखिरकार मुहर लगा दी है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि कोर्ट के भीतर ईडी ने ये भी दावा किया है कि शराब घोटाले की जांच में केजरीवाल ने ये भी बताया कि सौरभ भारद्वाज और आतिशी को विजय नायर रिपोर्ट करता था। 15 दिन की न्यायिक हिरासत के लिए केजरीवाल ने कुछ किताबों की भी मांग की है।

जेल जाने से पहले मुख्यमंत्री केजरीवाल ने रामायण, महाभारत और भगवद गीता के अलावा पत्रकार नीरजा चौधरी द्वारा लिखित पुस्तक “हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड” पढ़ने का अनुरोध किया, जिससे हम पहले से ही परिचित हैं। लेकिन इस किताब में क्या है? पत्रकार नीरजा चौधरी द्वारा लिखित यह पुस्तक इस बात पर प्रकाश डालती है कि भारत के प्रधानमंत्रियों ने कैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इसमें प्रधानमंत्री की स्थिति और मन:स्थिति पर प्रकाश डालते हुए पूरी प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की गई है। लेखिका, नीरजा चौधरी, भारत के प्रधानमंत्रियों के निर्णयों की गहनता से जांच करती हैं, और इस बात पर प्रकाश डालती हैं कि कैसे उनके निर्णयों ने देश के इतिहास की दिशा बदल दी है।

पुस्तक में, लेखिका ने छह प्रधानमंत्रियों पर प्रकाश डाला है और राजनीतिक अंतर्दृष्टि प्रदान की है। पत्रकार और राजनीतिक टिप्पणीकार नीरजा चौधरी की यह किताब सुर्खियों से परे जाकर स्वतंत्र भारत में लिए गए कुछ सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक निर्णयों का वर्णन करती है। किताब में 1980 से 2014 के बीच छह प्रधानमंत्रियों द्वारा लिए गए छह प्रमुख फैसलों की चर्चा की गई है। लेखिका ऐतिहासिक महत्व के छह निर्णयों के चश्मे से देश के प्रधानमंत्रियों की नेतृत्व शैली का विश्लेषण करती हैं।