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Congress : भारत जोड़ो यात्रा भी नहीं बचा सकी लाज, देश भर में बचे सिर्फ 16% कांग्रेस विधायक; जानिए तीन राज्यों ने कैसे बढ़ाया राहुल गांधी का सरदर्द

Congress : एक तरफ मल्लिकार्जुन खड़गे के तौर पर कांग्रेस ने दलित नेता को कमान दी है तो 5 महीने तक राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी। उसके बाद भी ज्यादा सीटें न मिल पाना कांग्रेस के लिए चिंता की बात है। एक तरफ उसने दिसंबर में गुजरात फिर से गंवाया था तो वहीं इस साल की शुरुआत में ही तीन राज्यों में उसकी पोल खुली है।

नई दिल्ली। बीते साल राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ दुनिया भर में चर्चा में रही और कांग्रेस ने इस यात्रा के सफल होने के दावे किए लेकिन इसके बावजूद भी पूर्वोत्तर राज्यों के चुनाव में कांग्रेस को इसका फायदा नहीं मिला। त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के चुनाव उसके लिए फिर से निराशा लेकर आए हैं। तीनों राज्यों की 180 सीटों में से उसके हाथ सिर्फ 8 सीटें ही लगी हैं। इनमें से भी नागालैंड में वह जीरो पर ही अटक गई है। त्रिपुरा में महज 3 और मेघालय में 5 सीटों से उसे संतोष करना पड़ा है। यही नहीं देश भर में फिलहाल 4033 विधायक हैं, जिनमें से उसके पास महज 658 ही हैं, जो 16 फीसदी के बराबर हैं। इससे पहले 2014 में यह आंकड़ा 24 परसेंट था।

congress and bjp flags

आपको बता दें कि मौजूदा समय में कांग्रेस के हालात को इससे भी समझा जा सकता है कि 4 राज्यों में अब उसका कोई विधायक नहीं बचा है। पैन-इंडिया पार्टी कांग्रेस के लिए यह निराशाजनक है और कई राज्यों में पांव उखड़ने का संकेत इससे मिलता है। फिलहाल आंध्र प्रदेश, नागालैंड, सिक्कम और दिल्ली में उसका कोई विधायक नहीं है। पश्चिम बंगाल में भी उसका कोई विधायक 2021 के चुनाव में नहीं जीता था, लेकिन गुरुवार को ही आए नतीजों में बंगाल के उपचुनाव में वह सागरदिघी सीट जीतने में सफल रही है। इस तरह बंगाल में उसके हिसे में एक ही सीट आई है।

tripura assembly election 1

इसके साथ ही कांग्रेस के लिए मुश्किल की बात यह भी है कि देश के 9 राज्यों में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 10 से भी कम रह गई है। 137 सालों के इतिहास में कांग्रेस के सामने शायद ही कभी इतनी कठिन चुनौती रही हो। एक तरफ मल्लिकार्जुन खड़गे के तौर पर कांग्रेस ने दलित नेता को कमान दी है तो 5 महीने तक राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी। उसके बाद भी ज्यादा सीटें न मिल पाना कांग्रेस के लिए चिंता की बात है। एक तरफ उसने दिसंबर में गुजरात फिर से गंवाया था तो वहीं इस साल की शुरुआत में ही तीन राज्यों में उसकी पोल खुली है।