नई दिल्ली। पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के लिए सरकारी कर्मचारी जद्दोजहद कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश और राजस्थान ने अपने यहां के सरकारी कर्मचारियों को ओपीएस देने का एलान भी किया है, लेकिन इसमें अब केंद्र सरकार की तरफ से पेच फंस गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि कर्मचारियों की ओर से नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) में लगाया गया धन राज्य सरकारों को वापस नहीं किया जाएगा। एनपीएस की शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौर में हुई थी। तब केंद्र के अलावा सभी राज्यों ने एनपीएस लागू की थी। बीते कुछ चुनाव के दौरान कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने ओपीएस लागू करने का वादा किया था। राजस्थान और हिमाचल की कांग्रेस सरकारों ने ओपीएस को लागू भी किया है।
“NPS में जमा पैसा राज्य सरकारों को वापस नहीं मिलेगा”
◆ केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान #NPS | NPS #NirmalaSitharaman pic.twitter.com/a8dNyhtWjf
— News24 (@news24tvchannel) February 21, 2023
राजस्थान सरकार ने पहले ही कहा था कि एनपीएस में जमा सरकारी कर्मचारियों की धनराशि को वापस लेने के लिए वो सुप्रीम कोर्ट जाएगी। अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान के बाद इस मामले में केंद्र और कुछ राज्य सरकारों के बीच कानूनी जंग शुरू होने के आसार बन गए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी समेत केंद्र सरकार के तमाम मंत्री कहते रहे हैं कि ओपीएस यानी पुरानी पेंशन योजना लागू करने से बहुत आर्थिक दबाव बनेगा। मोदी ने तो ये तक कहा था कि राज्य सरकारें ओपीएस के बारे में फैसला लेने से पहले श्रीलंका और पाकिस्तान की चरमराई वित्तीय हालत को देख लें।
उदाहरण के तौर पर पुरानी पेंशन योजना यानी ओपीएस लागू करने के लिए हिमाचल प्रदेश की नई कांग्रेस सरकार को पहले ही साल यानी 2023 में 800 से 900 करोड़ रुपए की अतिरिक्त रकम चाहिए। हिमाचल प्रदेश को इसके लिए कर्ज लेना पड़ सकता है। ऐसा ही ओपीएस लागू करने में अन्य राज्यों को भी दिक्कत आएगी। इन सबके बीच अगर केंद्र से एनपीएस में जमा धनराशि वापस न मिली, तो ओपीएस को लागू करने में रोड़ा अटक सकता है। इसकी वजह ये है कि फिर रिटायर होने वाले कर्मचारियों की पेंशन का आकलन किस साल से किया जाएगा?