नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कर्नाटक इकाई की एक फेक्ट फाइंडिंग टीम ने 11 अगस्त को बेंगलुरु की सड़कों पर हुई हिंसा के लिए सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) को जिम्मेदार ठहराया है। फेक्ट फाइंडिंग टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि यह दंगा एसडीपीआई के द्वारा पूर्व सुनियोजित था। कुछ आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट की वजह से पूरे शहर में हिंसा फैल गई इसकी वजह से कई सार्वजनिक संपत्तियों को नष्ट कर दिया और वाहनों को आग लगा दी गई। गुंडों की भारी भीड़ ने कांग्रेस के विधायक निवास और 2 पुलिस स्टेशनों को भी नहीं छोड़ा और उन्हें आग लगा दी।
महादेवपुर विधायक और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद लिंबावली के नेतृत्व में छह सदस्यीय पैनल ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट राज्य इकाई के प्रमुख नलिन कुमार कतेल को सौंप दी और अपनी रिपोर्ट में एसडीपीआई को हिंसा का प्रमुख साजिशकर्ता पाया। यह समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की राजनीतिक शाखा है, जो एक कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन है।
पार्टी को रिपोर्ट सौंपने के बाद मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए, भाजपा उपाध्यक्ष अरविंद लिंबावली ने कहा कि यह एक “पूर्वनियोजित और संगठित” हिंसा थी यह कोई “आकस्मिक घटना” नहीं थी। इसके लिए सोशल मीडिया का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था। लिंबावली ने इसके साथ ही डीजे हॉल और केजी हल्ली को लेकर कहा कि यहां तालिबान जैसी स्थिति बनी हुई है। ऐस में उन्होंने मांग की कि क्षेत्र में बीबीएमपी और पुलिस के कुशल अधिकारियों की तैनाती की जानी चाहिए।
राज्य के भाजपा अध्यक्ष नलिन कुमार कतेल ने रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दंगे कांग्रेस के भीतर नेतृत्व संकट का परिणाम थे। इस दंगे के पीछे कोई खुफिया विफलता नहीं है। बल्कि इसके पीछे कांग्रेस है। इस मौके पर लिम्बावली ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि कांग्रेस पार्टी के नेता पार्टी विधायक आर अखण्ड श्रीनिवास मूर्ति के समर्थन में आगे क्यों नहीं आए जिनके घर पर दंगाइयों का सीधा हमला हुआ था।
कुछ दिन पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने बेंगलुरु हिंसा की जांच की जिसने शहर में भीड़ को भड़काने के लिए एसडीपीआई के जिला सचिव मुज़म्मिल पाशा को दोशी माना। इस मामले की जांच पहले बेंगलुरु पुलिस द्वारा गठित एक जांच दल द्वारा की जा रही थी।