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Blast: नौसेना के डेस्ट्रॉयर INS रणवीर पर अचानक हुआ धमाका, 3 नौसैनिकों ने गंवाई जान

जून 2016 में नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य में बड़ा हादसा हुआ था। उश घटना में दो नौसैनिकों की मौत हो गई थी। गोवा के पास कारवार नौसेना बेस पर विक्रमादित्य की रिफिटिंग का काम चल रहा था। ये हादसा एसटीपी सीवेज प्लांट में जहरीली गैस के रिसाव की वजह से हुई थी।

मुंबई। भारतीय नौसेना के डेस्ट्रॉयर जहाज आईएनएस रणवीर में मंगलवार को जोर का धमाका हुआ। एक कंपार्टमेंट में हुए इस धमाके में 3 नौसैनिकों की मौत हो गई। घटना में 10 और के घायल होने की खबर है। जहाज को बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। नौसेना के मुताबिक आईएनएस रणवीर पहले पूर्वी कमान में था। कमान बदलने के बाद वो पश्चिम में पहुंचा था और अभी मुंबई के डॉक में था। जहाज को कुछ दिन बाद वापस पूर्वी कमान की तरफ जाना था। डॉकयार्ड में जहाज के भीतर अचानक धमाका हुआ। तुरंत बचाव और राहत कार्य शुरू किए गए। धमाके में तमाम जवान बुरी तरह घायल हुए थे। उनको तुरंत कोलाबा के आईएनएचएस अश्विनी भेजा गया। जहां तीन जवानों को मृत घोषित किया गया। इस पूरे मामले की जांच के लिए बोर्ड ऑफ इन्क्वायरी बनाई गई है।

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घटना में घायल 10 नौसैनिकों का इलाज चल रहा है। धमाके की वजह का पता जांच के बाद चलेगा। जहाज में कोई नुकसान नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि किसी मशीन के अचानक विफल होने से जहाज में ये धमाका हुआ होगा। बता दें कि इससे पहले भी भारतीय नौसेना के जहाजों और पनडुब्बियों में इसी तरह के धमाके होते रहे हैं। इनमें तमाम नौसैनिकों ने अपनी जान गंवाई है। इससे पहले मुंबई बंदरगाह पर अगस्त 2013 में बड़ी दुर्घटना हुई थी। तब आईएनएस सिंधुरक्षक में हुए धमाके में 18 नौसैनिकों की जान चली गई थी और पनडुब्बी को भारी नुकसान पहुंचा था।

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जून 2016 में नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य में बड़ा हादसा हुआ था। उस घटना में दो नौसैनिकों की मौत हो गई थी। गोवा के पास कारवार नौसेना बेस पर विक्रमादित्य की रिफिटिंग का काम चल रहा था। ये हादसा एसटीपी सीवेज प्लांट में जहरीली गैस के रिसाव की वजह से हुई थी। इसी तरह अप्रैल 2016 में भी नौसेना के डाइविंग शिप आईएनएस निरीक्षक के हेलमेट के अंदर ब्लास्ट में तीन नौसैनिक घायल हो गए थे। जबकि, एक नौसैनिक के पैर का हिस्सा काटना पड़ा था। इससे पहले जनवरी 2016 में फास्ट इंटरसेप्टर बोट आग लगने से नष्ट हो गई थी। हालांकि, उस पर सवार सभी छह नौसैनिकों को बचा लिया गया था।