
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को पद्म सम्मानों का एलान किया। कुल 106 लोगों को देश के ये सबसे बड़े सम्मान दिए गए हैं। इनमें सपा के सुप्रीमो रहे मुलायम सिंह यादव भी हैं। मुलायम सिंह को दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्म विभूषण देने की घोषण की गई है। मुलायम सिंह यूपी के 3 बार सीएम और केंद्र में रक्षा मंत्री भी रहे। मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण देने के केंद्र सरकार के एलान को 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव से पहले बड़े सियासी कदम के तौर पर देखा जा रहा है। ये ऐसा कदम है, जिससे सपा के अध्यक्ष और मुलायम के बेटे अखिलेश यादव ‘हां या न’ में फंस सकते हैं।
वजह इसकी ये है कि सपा की पूरी सियासत बीजेपी विरोधी रही है। अखिलेश यादव लगातार बीजेपी और उसकी सरकारों पर हमलावर रहते हैं। ऐसे में उनके सामने बीजेपी की केंद्र सरकार ने दो राहें खोल दी हैं। या तो अखिलेश यादव पिता मुलायम को मिले पद्म विभूषण सम्मान को ग्रहण करें, या फिर इसे लौटाने का एलान करें। दोनों में से अखिलेश जो भी कदम चुनेंगे, वो उनकी सियासत के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। अगर वो सम्मान लेते हैं, तो असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस और बीएसपी सुप्रीमो मायावती जैसे नेताओं को कहने का मौका मिल सकता है कि सपा और बीजेपी में भीतरखाने संबंध हैं। वहीं, अगर अखिलेश यादव सम्मान को ठुकराते हैं, तो बीजेपी को उन्हें घेरने का मौका मिल जाएगा।
बीजेपी पहले भी आरोप लगाती रही है कि अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव से दगा किया। इसे बीजेपी ने यूपी विधानसभा चुनाव और बीते दिनों मैनपुरी में हुए लोकसभा उपचुनाव के वक्त मुद्दा भी बनाया था। अगर अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह को मिले पद्म विभूषण सम्मान को लेने से इनकार कर देते हैं, तो बीजेपी को मुलायम का नाम लेकर अखिलेश को पितृद्रोही कहने का बड़ा मौका मिल जाएगा। बीजेपी तब और जोर-शोर से आरोप लगा सकेगी कि अखिलेश यादव अपने पिता को सम्मान तक दिलाना नहीं चाहते। अब सबकी नजर ऐसे में अखिलेश पर है कि वो पिता को मिले सम्मान के प्रति क्या रुख अपनाते हैं। क्योंकि उनके पास बीच का रास्ता फिलहाल नहीं दिख रहा है।