नई दिल्ली। दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में कोचिंग सेंटर हादसे में तीन छात्रों की मौत के मामले में सीबीआई ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी सील कवर रिपोर्ट पेश की है। इसके बाद हाई कोर्ट ने सीबीआई और एमसीडी को अब तक की जांच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया है। कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को भी इस मामले पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
यह मामला जुलाई 2023 का है, जब दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में अचानक पानी भरने से यूपीएससी की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की डूबने से मौत हो गई थी। मृतकों में 23 वर्षीय नवीन दलविन (केरल), 25 वर्षीय श्रेया यादव (उत्तर प्रदेश), और 25 वर्षीय तान्या सोनी (तेलंगाना) शामिल थे। यह हादसा तब हुआ जब बेसमेंट में स्थित लाइब्रेरी में अचानक बारिश का पानी घुस गया, जिससे यह त्रासदी घटी। घटना के बाद बेसमेंट को सील कर दिया गया था और इस घटना के विरोध में बड़े स्तर पर प्रदर्शन भी हुए थे।
Delhi के ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग में तैयारी कर रहे तीन छात्रों की मौत के मामले की जांच कर रही CBI ने HighCourt में सील कवर रिपोर्ट दाखिल की.
DelhiHighCourt ने कहा कि यह बहुत गंभीर और दुर्लभ मामला है. इसलिए हमने CBI को जांच पूरी करने के लिए समय दिया और CVC को जांच की निगरानी…
— Brij Dwivedi (@Brij17g) October 7, 2024
कोर्ट की टिप्पणी और जांच की निगरानी
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले को “अत्यंत गंभीर” करार देते हुए सीबीआई को विस्तृत जांच करने का समय दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयोग) को भी जांच की निगरानी करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे “दुर्लभ केस” माना है, जिसके चलते जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया है। कोर्ट ने यह भी बताया कि इस मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी।
एमसीडी पर कोर्ट की नाराजगी
हाई कोर्ट ने एमसीडी की कार्यशैली पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि एमसीडी कई बार आदेशों के बावजूद कार्यान्वयन में विफल रही है। पहले भी एमसीडी को निर्देश दिए गए थे, लेकिन उन पर सही तरीके से अमल नहीं किया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी लापरवाही अस्वीकार्य है और इस मामले में ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
सीबीआई जांच के आदेश
हादसे के बाद, दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि सीवीसी का एक वरिष्ठ अधिकारी इस जांच की निगरानी करेगा ताकि निष्पक्ष और गहन जांच सुनिश्चित की जा सके।