
नई दिल्ली। देश में जनगणना और जातिगत जनगणना कराए जाने के संबंध में केंद्रीय गृहमंत्रालय ने महत्वपूर्ण जानकारी दी है। दो चरणों में जनसंख्या की गणना कराए जाने का निर्णय सरकार ने लिया है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और लद्दाख जैसे पहाड़ी राज्यों में पहले चरण में 1 अक्टूबर 2026 से जनगणना शुरू होगी। जबकि दूसरे चरण में देश के अन्य हिस्सों में एक मार्च 2027 से जनगणना की शुरुआत की जाएगी। जनगणना रजिस्टर में इस बार जाति का कॉलम भी होगा और जनगणना कर्मचारी हर किसी से उसकी जाति भी पूछेंगे। जनगणना अधिनियम 1948 की धारा 3 के प्रावधान के अनुसार इसकी अधिसूचना 16 जून 2025 को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी।
Ministry of Home Affairs ( MHA) says, “It has been decided to conduct Population Census-2027 in two phases along with enumeration of castes. The reference date for Population Census – 2027 will be 00:00 hours of the first day of March, 2027. For the Union Territory of Ladakh and… pic.twitter.com/Crprvaqa7j
— ANI (@ANI) June 4, 2025
मोदी सरकार ने हाल ही में जातिगत जनगणना कराए जाने को मंजूरी दी है। इस तरह से देश की आजादी के बाद पहली बार ऐसा होगा जब जनगणना के दौरान लोगों से उनकी जाति भी पूछी जाएगी। इससे पहले साल 1931 में जातिवार जनगणना हुई थी। आपको बता दें कि वैसे तो देश में हर 10 साल में जनगणना कराई जाती है, मगर इस बार 15 साल बाद जनगणना हो रही है। इससे पहले साल 2011 में जनगणना कराई गई थी। उसके बाद 2021 में जनगणना होनी थी मगर कोविड के कारण यह नहीं हो सकी।
जनगणना में ओबीसी के आंकड़े नहीं होने से आरक्षण नीति अस्पष्ट बनी रही, इसी के चलते देश में पिछले काफी समय से जातिगत जनगणना की मांग उठ रही थी। अब जातिगत जनगणना के बाद ये पता चल सकेगा कि किस विधानसभा और कौन सी लोकसभा क्षेत्र में किस जाति के कितने लोग रहते हैं। इससे राजनीतिक परिदृश्य पर भी असर पड़ सकता है। मोदी सरकार के द्वारा जातिगत जनगणना को कराए जाने के फैसले को मंजूरी दिए जाने के बाद से कांग्रेस, आरजेडी समेत अन्य विपक्षी दलों में इस बात का श्रेय लेने के लिए होड़ मची हुई है।