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कोरोना संकट के बीच सरकार लेने वाली है 12 लाख करोड़ रुपये का कर्ज, जानिए आप पर क्या होगा असर…

बाजार में मांग की स्थिति बहुत कमजोर है जिसको देखते हुए इस बात की बहुत कम संभावना है कि सरकार के उधारी बढ़ाने के फैसले से महंगाई बढ़ेगी।

नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच वित्त वर्ष 2021 के लिए केंद्र सरकार ने 12 लाख करोड़ रुपये उधार लेने का फैसला किया है। यह रकम पहले से तय उधारी के लक्ष्य 7.80 लाख करोड़ रुपये से 4.20 लाख करोड़ रुपये ज्यादा होगी। ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर केंद्र सरकार के इस कर्ज से आपकी जेब पर क्या असर पड़ेगा।

Jammu Kashmir Corona icon

तमाम तरीके के सार्वजनिक खर्चों के कारण सरकार को कर्ज लेना पड़ता है। जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा, बुनियादी सुविधाओं के विस्तार पर आने वाले तरह-तरह के खर्च शामिल होते हैं। इसीलिए सरकार बाजार से पैसे जुटाती है। अब सवाल उठता है कि सरकार पहले से तय कर्ज से अधिक कर्ज ले रही है तो इस अतिरिक्त उधारी की फंडिंग कौन करेगा या बॉन्डों की खरीद कौन करेगा?

pm modi piyush goyal

तो इसका जवाब है कि सरकार बैंकों, दूसरे निवेशकों और संस्थाओं को बॉन्ड जारी करके पैसे जुटाती है। इन बॉन्डों की खरीद बैंकों की तरफ से होगी क्योंकि बाजार में काफी लिक्विडिटी है। वैसे भी बैंकों के पास भारी मात्रा में डिपॉजिट पड़ा हुआ है और लोन की काफी कम मांग आ रही है. ऐसे में बैंक ही सरकारी बॉन्डों के सबसे बड़े खरीदार बनकर उभरेंगे।

Indian Economy

हालांकि सरकार अगर अधिक कर्ज लेती है तो भी इसकी उम्मीद कम ही है कि महंगाई बढ़े। इसके पीछे का कारण ये है कि बाजार में मांग की स्थिति बहुत कमजोर है जिसको देखते हुए इस बात की बहुत कम संभावना है कि सरकार के उधारी बढ़ाने के फैसले से महंगाई बढ़ेगी। महंगाई तब बढ़ती है जब मांग ज्यादा हो और सप्लाई कम। लॉकडाउन से गुजर रही इकोनॉमी में मांग कहीं दिखाई नहीं दे रही है।। इसलिए सरकार की बढ़ी उधारी से महंगाई बढ़ने का सवाल ही नहीं उठता।

लॉकडाउन का असर कुछ ऐसा है कि देश में कारोबारी गतिविधियां ठप्प पड़ गई हैं। सरकार की जीएसटी (GST) से होने वाली कमाई मार्च में घटकर 28000 करोड़ रुपये के स्तर पर आ गई। गौरतलब है कि प्रति माह औसत जीएसटी (GST) कलेक्शन मार्च के पहले 1 लाख करोड़ रुपये के आसपास रहता था। इस स्थिति को देखते हुए सरकार के पास बाजार से उधारी बढ़ाने के अलावा दूसरा रास्ता नजर नहीं आ रहा।