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Uttar Pradesh: चौरी-चौरा शताब्दी समारोह, जहां होती थी याद करने की महज रस्म, वहां धूम मचा रहा देशभक्ति का जश्न

Uttar Pradesh: चौरी-चौरा शताब्दी समारोह (Chauri Chaura centenary celebrations) का शुभारंभ गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में चौरी-चौरा शहीद स्मारक स्थल पर हुआ था। प्रधानमंत्री ने समारोह को वर्चुअल संबोधित किया था तो उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी ऑनलाइन जुड़ी थीं। इसके साथ ही पूरे साल समूचे प्रदेश में आयोजनों की श्रृंखला भी शुरू हुई।

गोरखपुर। गुरुवार को चौरी-चौरा शताब्दी समारोह के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सोच बदल गई तो अप्रोच भी बदल गई। उनकी यह बात आजादी के आंदोलन में निर्णायक भूमिका निभाने वाले चौरी-चौरा जन प्रतिरोध के परिप्रेक्ष्य में अक्षरशः खरी उतरती है। बदली सोच वाली सरकार का अप्रोच ही है कि जहां बलिदानियों की याद में एकदिनी वह भी नितांत स्थानीय रस्म अदायगी होती थी, वहां लगातार दूसरे दिन भी देशभक्ति का जश्न धूम मचाता रहा। योगी सरकार की पहल पर यह माहौल पूरे प्रदेश में न केवल साल भर छाया रहेगा बल्कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर ऐसी मुकम्मल व्यवस्था की जा रही है कि चौरी-चौरा जन प्रतिरोध की अमर गाथा को अब अहर्निश वाजिब सम्मान मिलता रहेगा।

चौरी-चौरा शताब्दी समारोह का शुभारंभ गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में चौरी-चौरा शहीद स्मारक स्थल पर हुआ था। प्रधानमंत्री ने समारोह को वर्चुअल संबोधित किया था तो उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी ऑनलाइन जुड़ी थीं। इसके साथ ही पूरे साल समूचे प्रदेश में आयोजनों की श्रृंखला भी शुरू हुई। मुख्य समारोह स्थल चौरी-चौरा शहीद स्मारक स्थल पर दूसरे दिन शुक्रवार को भी देशभक्ति से ओत-प्रोत प्रस्तुतियां हुईं। शुरुआत सेंट्रल पब्लिक एकेडेमी भाऊपुर के बच्चों ने सरस्वती वंदना और स्वागत गीत से की। इसके बाद “है प्रीत जहां की रीत सदा” गीत प्रस्तुत कर इंडियन आइडल के चौरी-चौरा के कलाकार शुभम वर्मा ने लोगों की तालियां बटोरी। इसी क्रम में देशभक्ति की धुन पर बच्चों ने खेल योग की कलात्मक प्रस्तुति की जबकि चौरी-चौरा के डांस क्लब के बच्चों ने आजादी के आंदोलन पर नृत्य प्रस्तुत किया।

लोकरंग कर्मी हरिप्रसाद सिंह ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की भोजपुरिया नृत्य गाथा से लोगों में जोश भर दिया। उन्होंने बिठूर से शुरू कर नाना साहब पेशवा, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई को नमन करते हुए भोजपुरी क्षेत्र के बाबू कुंवर सिंह, मंगल पांडेय, पैना, मझौलीराज, सतासी राज नरेश, राजा बढ़यापार, उनवल और बांसी के क्रांतिकारी इतिहास को रेखांकित किया।

मंचीय प्रस्तुति के दौरान जेबी महाजन महिला महाविद्यालय, जेबी महाजन डिग्री कालेज और ब्लूमिंग फ्लावर डांस एकेडमी के छात्रों द्वारा प्रस्तुत घूमर, कालबेलिया और डेढिया नृत्य ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया। जेबी महाजन डिग्री कालेज चौरीचौरा के कलाकारों ने चौरीचौरा हत्याकांड पर आधारित नृत्य नाटिका का मंचन किया। इन कलाकारों ने असहयोग आंदोलन, लाला लाजपत राय की हत्या, सरदार भगत सिंह, राजगुरु चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल की जीवनी, उनकी फांसी और ब्रिटिश अधिकारी सैंडर्स की हत्या को रेखांकित करने के साथ ही चौरी-चौरा जन प्रतिरोध की घटना को जीवंत कर दिया। इसी क्रम में लोक गायक राकेश श्रीवास्तव ने देशभक्ति गीत “बंधू के फांसी लागल टूटल तरकुलवा जहनवा जानल ना” से क्रांतिकारी बंधू सिंह को याद कराया। उनके द्वारा गाए गए “झूली गइलें झुलनवा ना…धन्य है मेरा उत्तर प्रदेश” से लोग जोश में डूबे रहे।