दिग्विजय के ट्वीट पर सीएम योगी का पलटवार, ऐसे कर दी बोलती बंद
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के ट्वीट पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पलटवार करते हुए करारा जवाब दिया है।
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के ट्वीट पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पलटवार करते हुए करारा जवाब दिया है। दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सोमवार को एक ट्वीट करते हुए लिखा, ”मैं मोदी जी से फिर अनुरोध करता हूं 5 अगस्त के अशुभ मुहूर्त को टाल दीजिए। सैकड़ों वर्षों के संघर्ष के बाद भगवान राम मंदिर निर्माण का योग आया है अपनी हठधर्मिता से इसमें विघ्न पड़ने से रोकिए।”
राम मंदिर निर्माण में अड़ंगा लगाने, देश को धर्म-जाति के आधार पर बांटने और सत्ता के लिए जनभावना से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए सीएम योगी कहा कि कांग्रेस को उसका इतिहास याद रखना चाहिए कि उसने राम मंदिर निर्माण न हो, इसके लिए हरसंभव प्रयास किया। सीएम योगी ने कहा कि 135 करोड़ लोग अयोध्या में मंदिर के समर्थक हैं। आज जबकि मंदिर के शिलान्यास का क्षण नजदीक है, तो ऐसे में लोग किसी भी तरह की नकारात्मक टिप्पणी न करें।
#WATCH: UP CM Yogi Adityanath says in Ayodhya, “…Congress should look in its past. They didn’t want that a foundation stone be laid where Lord Ram was placed. They didn’t want the conclusion of the issue…They divide people on the basis of caste, religion and beliefs.” pic.twitter.com/VAMU4Nvm8W
— ANI UP (@ANINewsUP) August 3, 2020
सीएम योगी ने कहा कि देश को इतिहास और हर व्यक्ति के पुराने कृत्य के बारे में मालूम है। आज सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक इसके शिलान्यास का लोग इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में किसी भी तरह की नकारात्मक टिप्पणी न करें। सीएम योगी ने कहा कि कांग्रेस को अपने इतिहास में झांकना चाहिए। सबको पता है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य, आजादी के तत्काल बाद सोमनाथ मंदिर के पुनरुद्धार के साथ ही शुरू हो सकता था। लेकिन जब लोगों के लिए देश से महत्वपूर्ण सत्ता हो जाती है, तो ऐसे लोग जाति-मजहब के नाम पर देश को बांटने का काम करते हैं।
सीएम योगी ने कहा कि रामलला जहां विराजमान हैं, जो वास्तविक जन्मस्थल है, वहां मंदिर बनना चाहिए, यह पूरे देश की इच्छा थी, लेकिन कांग्रेस उस स्थान पर मंदिर का शिलान्यास नहीं चाहती थी। विवाद का अंत नहीं चाहती थी। इसलिए जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया, तो वहां कांग्रेस के एक नेता ने ही अदालत में आवेदन दिया कि समस्या का समाधान 2019 से पहले नहीं हो पाए।
उन्होंने कहा कि 9 नवंबर की तारीख ऐतिहासिक तिथि है, जब सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया और 500 साल से चले आ रहे विवाद का पटाक्षेप किया। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं जिन्होंने कई साल पहले से ही इसके बारे में कहते रहे थे कि इस समस्या का समाधान संविधान के अनुरूप ही हो। अदालत ने भी संविधान के तहत ही भव्य राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया।