
नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सामने पेश होंगे। जस्टिस शेखर यादव के बीते दिनों दिए गए बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से जानकारी मांगी थी। अब जस्टिस शेखर यादव अपना पक्ष रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सामने जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की अध्यक्षता चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के पास है। शेखर यादव पर आरोप है कि उन्होंने 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी के कार्यक्रम में हिस्सा लिया और विवादित बयान दिया। वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने जस्टिस शेखर यादव का पक्ष लेते हुए विपक्ष को खरी-खोटी सुनाई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने वीएचपी के कार्यक्रम में समान नागरिक संहिता लागू करने का पक्ष लिया था। जस्टिस शेखर यादव ने ये भी कहा था कि उनको ये मानने में गुरेज नहीं है कि हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों के अनुसार ही देश चलेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने ये भी कहा था कि परिवार और समाज को देखिए, कानून बहुसंख्यकों के हिसाब से ही चलता है। जस्टिस शेखर यादव ने ये भी कहा था कि कठमुल्ले देश के लिए घातक हैं। जस्टिस शेखर यादव के इन्हीं बयानों पर विपक्ष भड़का और उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी राज्यसभा में दिया है।
वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने जस्टिस शेखर यादव का पक्ष लेते हुए विपक्ष पर तगड़ा हमला बोला है। योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सच बोलने पर जस्टिस शेखर यादव को महाभियोग की धमकी दी जा रही है। योगी आदित्यनाथ ने हिंदी अखबार हिंदुस्तान के कार्यक्रम में रविवार को कहा कि विपक्ष सच्चाई का मुंह बंद कराना चाहता है। योगी ने कहा था कि सच बोलना अपराध नहीं है। योगी ने विपक्ष पर कहा था कि ये संविधान की किताब हाथ में लेकर चलते हैं। फिर भी संविधान का गला घोंटते हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि विपक्ष के लोग जवाहरलाल नेहरू के लिखे ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ को सबसे प्राचीन ग्रंथ मानते हैं। संविधान के नाम पर पाखंड कर रहे हैं। योगी ने सवाल उठाया था कि 46 साल पहले संभल में जो दंगा हुआ, उसके दोषियों को सजा क्यों नहीं मिली?