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चुनाव UP में…दौरा कानपुर का…फिर मंदिर छोड़ गुरुद्वारा दर्शन करने क्यों पहुंचें CM योगी? जानें, क्या कहते हैं सियासी पंडित

CM Yogi and JP Nadda reached Kanpur to visit :इसी कड़ी में ताबड़तोड़ रैली बीजेपी के नेताओं की तरफ से देखी  जा रही है। अब सबने देखा कि कैसे बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में ताबड़तोड़ कार्यक्रम आयोजित बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया। अब इसी बीच सीएम योगी बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्ड़ा के साथ आज लखनऊ पहुंचे। लखनऊ पहुंचने जाते ही उन्होंने गुरुद्वारा जाकर मत्था टेका है।

नई दिल्ली। अगर आप अतीत का गहन अवलोकन करें, तो आपको उस नतीजे पर पहुंचने में कोई गुरेज नहीं होगा कि विदेशी आक्रांताओं ने भारत को गुलाम बनाने की रूपरेखा तय करते समय ही समझ लिया था कि भारत को पराधीन करने से पूर्व उसके तीनों मोर्चों मसलन रक्षा, व्यापार व धर्म पर प्रहार करना जरूरी है और क्रूर विदेशी आक्रांताओं ने ऐसा करने से किसी भी प्रकार का कोई गुरेज नहीं किया। व्यापार से लेकर रक्षा, रक्षा से लेकर धर्म तक पर, इन विदेशी आक्रांताओं के हम शिकार हुए। हमारे व्यापार पर चोट किया गया, हमारी रक्षा प्रणाली का हास किया गया और इसके साथ ही साथ हमारे धर्म को भी हाशिए पर धकेल दिया गया, जिसका जब हमें अभास हुआ, तब तक हम काफी कुछ खो चुके थे।

CM OF UP

खैर, कई वर्षों के कठीन श्रमों के परिणामस्वरूप हमें स्वाधीनता हासिल हुई लेकिन अफसोस स्वाधीनता हासिल होने के बाद भारतीय राजनीति में विरले ही ऐसे सियासी सूरमा रहें, जिनकी तरफ से विदेशी आक्रांताओं के हाथों चोटिल हुई हमारी भारतीय संस्कृति व रवायतों को बहाल करने की कोशिश की गई। उन्हीं विरले नेताओं में से उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। जब उनका मुख्यमंत्री के रूप में राज्याभिषेक हुआ है, तब से ही वे लगातार इस महान लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा अपनी कर्मठता का परिचय दे रहे हैं। सीएम योगी अपने कार्यकाल में विकास की बयार बहाकर न महज देश-प्रदेश की जनता को मंत्रमुग्ध करने की दिशा में अनवरत पर्यत्नशील हैं, अपितु हमारी खोई हुई सांस्कृतिक विरासत को वापस लाने की दिशा में भी प्रतिबद्ध हैं। उनकी इसी प्रतिबद्धता से मंत्रमग्धु हुई प्रदेश की जनता इस बार पुन: उनका बतौर मुख्यमंत्री राज्याभिषेक कराने हेतु मार्ग प्रशस्त करती दिख रही है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि इस बार फिर से वे प्रदेश में सियासी बयार बीजेपी के पक्ष में बहती प्रतित हो रही है। विगत दिनों जिस तरह से एबीपी सी वोटर ने चुनावी सर्वे जारी किया है, उससे यह साफ जाहिर होता है कि इस बार फिर से प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनेगी। वहीं, बीजेपी का पूरा कुनबा भी उत्तर प्रदेश सरीखे अहम राज्य में अपना स्वराज्य स्थापित करने की दिशा में प्रतिबद्ध है।

इसी कड़ी में ताबड़तोड़ रैली बीजेपी के नेताओं की तरफ से देखी जा रही है। हम सबने देखा कि कैसे बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में ताबड़तोड़ कार्यक्रम आयोजित कर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया। अब इसी बीच सीएम योगी बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्ड़ा के साथ आज लखनऊ पहुंचे। लखनऊ पहुंचने ही उन्होंने गुरुद्वारा जाकर मत्था टेका। अब उनके गुरुद्वारा जाने पर सियासी गलियारों में चर्चा का बाजार तनिक गुलजार हो गया है। पूछा जाने लगा कि आमतौर पर मंदिर दर्शन करने वाले सीएम योगी भला गुरुद्वारे के चौखट पर कैसे दस्तक दे गए, तो कुछ सियासी पंडितों ने इसे अभी हालिया किसान आंदोलन के दौरन सिख समुदाय से बीजेपी के मोह होते भंग से जोड़कर देखा जाने लगा। सियासी पंडित बताने लगे कि बीजेपी सिख समुदाय की नाराजगी को दूर करने के लिए ऐसे प्रयास किए गए हैं। खैर, छोड़िए उन बातों को, अब बात थोड़ा मुद्दे की करते हैं।

सीएम योगी आज सुबह 11 बजे लखनऊ के चेकरी एयरपोर्ट पर पहुंचे। यहां से दोनों नेताओं का काफिला किदवई नगर स्थित गुरुद्वारा नामदेव पहुंचा। गुरुद्वारा में गुरु ग्रंथ साहिब का दर्शन किया और मत्था टेका। वहीं, सिख समुदाय के लोग इनका दिल खोलकर स्वागत करते दिखे। वो मंजर यकीनन देखने  लायक था, जब इन दोनों ही सियासी सूरमाओं का स्वागत सियासी सूरमा बड़े ही चाव से करते दिख रहे थे। यहां भाजपा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ने नवनिर्मित क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन किया। इस बीच सीएम योगी बीजेपी के स्थानीय नेताओं से आगामी चुनाव के संदर्भ में चर्चा परिचर्चा की मुद्रा में भी दिखें। लंच के बाद दोपहर करीब एक बजे से निराला नगर रेलवे ग्राउंड में भाजपा कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र के बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन को संबोधित करेंगे। कार्यक्रम में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, प्रदेश अध्यक्ष स्वतन्त्र देव सिंह, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल भी शामिल होंगे। गौरतलब है कि आगामी कुछ माह बाद प्रदेश में सियासी बिगुल बजने जा रहा है। जिसमें बीजेपी समेत अन्य दलों की हिस्सेदार देखने लायक होगी। सभी राजनीतिक दल अपनी जीत सुश्चित कराने हेतु सारी कोशिश को सिरे चढ़ाने में लगे हुए हैं। सपा से लेकर बसपा तो कांग्रेस भी इस बार उम्मीदों के साथ चुनाव में उतरती हुई दिख रही है। अब ऐसे में आगे चलकर किस दल कोशिश कामयाब होती है। किसके सिर बंधता है, जीत का सेहरा, यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा।