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Congress Too Insulted President: नए संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति को न बुलाने पर सवाल उठा रही कांग्रेस, लेकिन खुद भी करती रही है अपमान!

नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने वाले कांग्रेस समेत विपक्षी दल कह रहे हैं कि ऐसा करके मोदी सरकार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान कर रही है, लेकिन अगर इतिहास के पन्नों को पलटें, तो कांग्रेस ने खुद कई राष्ट्रपतियों के अपमान में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। कुछ उदाहरण आप खुद देख लीजिए।

नई दिल्ली। कांग्रेस और 18 अन्य विपक्षी दल नए संसद भवन के पीएम नरेंद्र मोदी के हाथ उद्घाटन का विरोध कर रहे हैं। इन दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का एलान किया है। नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने वाले कांग्रेस समेत विपक्षी दल कह रहे हैं कि ऐसा करके मोदी सरकार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान कर रही है, लेकिन अगर इतिहास के पन्नों को पलटें, तो कांग्रेस ने खुद कई राष्ट्रपतियों के अपमान में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। मौजूदा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक का कांग्रेस के नेताओं ने बार-बार अपमान किया। तमाम अन्य विपक्षी दलों ने भी राष्ट्रपति के पद का अपमान किया है।

manish tiwari and udit raj on droupadi murmu

कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को जबरन थोपा गया बताया था। उन्होंने ट्वीट में लिखा था कि राष्ट्रपति अपने दिमाग से कुछ नहीं कह सकतीं। जनवरी 2023 में जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण दिया, तो कांग्रेस के तमाम सांसद इसमें मौजूद नहीं थे। तब दलील दी गई कि जम्मू-कश्मीर में खराब मौसम के कारण वे दिल्ली नहीं आ सके। ये सभी कांग्रेस नेता भारत जोड़ो यात्रा में गए थे। अब सवाल ये है कि भारत जोड़ो यात्रा क्या संसद के सत्र से ज्यादा महत्वपूर्ण थी? एक और उदाहरण देखिए। साल 2022 में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता उदित राज ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चमचागीरी करने वाला बताया था। वहीं, 2022 में ही कांग्रेस के सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कई बार मुर्मू को ‘राष्ट्रपत्नी’ कहकर संबोधित किया। कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने उनका ये कहकर बचाव किया कि राष्ट्रपति तो सभी के लिए सम्मानीय हैं और लिंग के आधार पर किसी भूलभूलैया में गुम नहीं होना चाहिए।

राष्ट्रपति के अपमान की एक और बानगी भी देखिए। ये मामला भी 2022 का है। तब कांग्रेस के नेता अजय कुमार ने एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के बारे में कहा कि वो “भारत के बहुत बुरे दर्शन” का प्रतिनिधित्व करती हैं। अजय कुमार ने ये भी कहा था कि मुर्मू को आदिवासियों का प्रतीक नहीं बनाया जाना चाहिए।

इससे पहले 2021 में 16 विपक्षी दलों ने तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संसद अभिभाषण का बहिष्कार किया। कांग्रेस की तब अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी और राज्यसभा में नेता विपक्ष रहे गुलाम नबी आजाद और सांसद जयराम रमेश ने दूसरी पार्टियों से भी राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने के लिए अपील की थी।

कांग्रेस की तरफ से राष्ट्रपति पद के अपमान के और भी किस्से हैं। साल 2019 में कांग्रेस की तरफ से उदित राज ने तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को गूंगा-बहरा दलित बताया था। जब 2017 में कोविंद को राष्ट्रपति चुना गया, तब सोनिया गांधी और राहुल गांधी लंबे वक्त तक उनसे सौजन्य मुलाकात तक करने नहीं गए थे। कांग्रेस ने 2017 में ही रामनाथ कोविंद की तरफ से जनसंघ के नेता रहे दीनदयाल उपाध्याय की तुलना महात्मा गांधी से करने और जवाहरलाल नेहरू का नाम न लेने पर निशाना साधा था। देश के राजनीतिक इतिहास को जानने वाले इसकी जानकारी भी रखते हैं कि ज्ञानी जैल सिंह के राष्ट्रपति रहते वक्त तत्कालीन कांग्रेस सरकार उनसे अहम मसलों पर बात भी नहीं करती थी। तब अखबारों में ऐसी खबरें छपीं। यहां तक कि 1985 से 1987 के बीच तमाम बार ऐसा हुआ कि केंद्रीय मंत्री बुलाए जाने पर भी ज्ञानी जैल सिंह से मिलने तक नहीं गए।