कोलकाता। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में गिने जाने वाले अधीर रंजन चौधरी को इस बार अपनी परंपरागत बहरमपुर सीट से टीएमसी के यूसूफ पठान के हाथ पराजय का सामना करना पड़ा। बहरमपुर सीट को अधीर रंजन चौधरी ने 25 साल बाद गंवाया है। बहरमपुर सीट से पराजय के बाद अब अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस के नेतृत्व से नाराज लग रहे हैं। उन्होंने कई सवाल उठाए हैं और अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंता भी जताई है।
Feeling Bad for Adhir Ranjan Choudhury.
The man gave everything to Berhampur for last 25 years.
Yet he lost as :
1) Muslims voted for another muslim candidate
2) INC central leadership didn’t support INC Bengal
pic.twitter.com/1FS3La3HvM— Bengal Mafia ࿗ (@BengalMafia) June 5, 2024
अधीर रंजन चौधरी ने एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि बहरमपुर में कांग्रेस के किसी नेता ने आकर प्रचार नहीं किया। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि किसी नेता को बहरमपुर न भेजना कांग्रेस का फैसला है और उनको इस बारे में कुछ नहीं कहना है। अधीर रंजन चौधरी ने हालांकि अपनी नाराजगी भी संकेतों में जता दी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब मुर्शिदाबाद पहुंची थी, तो वह उसमें शामिल हुए थे। अधीर रंजन चौधरी ने ये भी कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पश्चिम बंगाल के मालदा में आकर प्रचार किया, लेकिन वो बहरमपुर नहीं आए।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वो तो सिर्फ सियासत ही जानते हैं। इसके अलावा और कोई काम उनको नहीं आता। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनको आशंका है कि अब कठिन समय आने वाला है। कांग्रेस के दिग्गज नेता ने कहा कि उनको नहीं पता कि अब राजनीतिक भविष्य कैसा होगा। अधीर रंजन चौधरी ने ये भी कहा कि टीएमसी की बंगाल सरकार से लड़ने के लिए उन्होंने अपने आय के स्रोत की भी अनदेखी कर दी। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनकी बेटी कभी-कभी पढ़ाई के सिलसिले में दिल्ली जाती रहती है। अब सांसद का आवास खाली कर दिल्ली में उनको मकान भी लेना पड़ेगा। अधीर रंजन चौधरी ने ये भी कहा कि वो तो पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ना चाहते थे, लेकिन सोनिया गांधी के अनुरोध पर इस फैसले को वापस ले लिया था।