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Delhi: बैकफुट पर कांग्रेस, अब अध्यादेश मामले में AAP को करेगी सपोर्ट

Delhi: आप संयोजक विपक्ष को एकजुट करके इस अध्यादेश को कानून की शक्ल अख्तियार करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इसी सिलसिले में सीएम केजरीवाल कई नेताओं से मुलाकात कर समर्थन की मांग कर रहे हैं।

नई दिल्ली। आखिरकार अध्यादेश के मामले में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस के साथ मिल ही गया है। गत दिनों आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए केंद्र की मोदी सरकार के विरोध में सियासी माहौल बनाने के मकसद से बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को अध्यादेश के मामले में समर्थन देने से गुरेज किया था, जिसके बाद आप संयोजक केजरीवाल ने दो टूक कह दिया था कि जब तक कांग्रेस की ओर से अध्यादेश पर हमें समर्थन प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक हम आगामी दिनों में होने वाली किसी भी बैठक में शिरकत नहीं करेंगे। बता दें कि आप के इस बयान के बाद विपक्षी दलों की एकजुटता पर संकट के बादल मंडराने लगे थे। ध्यान दें कि पटना में विपक्षी दलों की बैठक संपन्न होने के बाद हुई प्रेसवार्ता से भी आप ने दूरी बना ली थी, जिसके बाद सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई कि कांग्रेस का अध्यादेश के मामले में समर्थन नहीं मिलने से आप संयोजक की नाराजगी अपने चरम पर पहुंच चुकी है।

rahul kejriwal

वहीं, अब आगामी 16 – 17 जुलाई को होने जा रही विपक्षी दलों की बैठक से पहले कांग्रेस ने केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के मामले में आप को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। हालांकि, इस संदर्भ में अभी तक पार्टी की ओर से आधिकारिक वक्तव्य या कोई नोट जारी नहीं किया गया है, लेकिन कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने बीते शनिवार को मीडिया से बातचीत के दौरान यह स्पष्ट कर दिया कि हमारी पार्टी संघीय ढांचे के खिलाफ केंद्र द्वारा रची जा रही साजिश के खिलाफ खड़ी थी और हमेशा खड़ी रहेगी। जयराम रमेश के इस बयान के बाद माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यादेश के मामले में आप का समर्थन करेगी। इसके अलावा आप सांसद राघव चड्ढा ने भी ट्वीट कर कहा कि अध्यादेश के मामले में कांग्रेस हमारा समर्थन करेगी। ध्यान दें कि अगर ये बातें हकीकत में तब्दील हुई, तो बहुत मुमकिन है कि विपक्षी एकता को बल मिले।

सनद रहे कि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली का असली बॉस केजरीवाल सरकार को बताया था। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया था कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और नियुक्ति का संवैधानिक अधिकार अगर किसी के पास है, तो वो दिल्ली की केजरीवाल सरकार है। बता दें कि कोर्ट के इस फैसले से पहले अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण से संबंधित नीतिगत फैसले केंद्र सरकार ही लिया करती थी, जिसकी वजह से दिल्ली और केंद्र के बीच रार प्रतिवार का सिलसिला जारी रहता था, जिसे ध्यान में रखते हुए केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उक्त फैसला सुनाया, जिसे केजरीवाल सरकार की जीत के रूप में देखा गया था, लेकिन हफ्तेभर बाद ही केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही पलट दिया, जिसे केजरीवाल सरकार ने संविधान के विरोध में बताया था।

arvind kejriwal and sonia gandhi

वहीं, आप संयोजक विपक्ष को एकजुट करके इस अध्यादेश को कानून की शक्ल अख्तियार करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इसी सिलसिले में सीएम केजरीवाल कई नेताओं से मुलाकात कर समर्थन की मांग कर रहे हैं। बीते दिनों इसी मुद्दे को सीएम केजरीवाल ने पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में उठाया था, लेकिन कांग्रेस ने समर्थन देने से गुरेज किया था, जिसके बाद आप संयोजक ने भी स्पष्ट कर दिया कि जब तक कांग्रेस की ओर से अध्यादेश के मामले में हमें समर्थन प्राप्त नहीं हो जाता है, तब तक हम किसी भी बैठक में शामिल नहीं होंगे। खैर, अब कांग्रेस ने समर्थन का ऐलान कर दिया है, तो यह कहना मुनासिब रहेगा कि एक बड़ी चुनौती केजरीवाल की राह ध्वस्त हो चुकी है।

arvind kejriwal

बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व मोदी सरकार के विरोध में माहौल बनाने के मकसद विपक्षी एकजुटता की कवायद शुरू की जा रही है। बीते दिनों इसी सिलसिले में जहां पटना में बैठक संपन्न हुई थी , तो वहीं अब अगली बैठक बेंगलुरु में आयोजित की गई है। अब ऐसे में देखना होगा कि अब इस बैठक में किन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होती है।