नई दिल्ली। किसान आंदोलन के नाम पर मोदी सरकार के खिलाफ साजिश रची जा रही है। सिर्फ यही वजह है कि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत अपने बयानों से किसानों को लगातार भड़का रहे हैं। हर रोज वह मोदी सरकार पर नया आरोप जड़ देते हैं और अपने बयान को सही ठहराने के लिए उल्टे-सीधे तर्क देने लगते हैं। जिससे साफ जाहिर होता है कि उनका इरादा सरकार से बातचीत न कर किसानों को भड़काकर एक बार फिर 26 जनवरी जैसी हिंसा करवाना है। ताजा मामले में राकेश टिकैत ने एक टीवी चैनल पर कहा कि सरकार ने कृषि कानूनों के मसले पर बातचीत के लिए कई शर्तें रख दी हैं, जिसकी वजह से बातचीत हो नहीं सकती। टिकैत ने कहा कि जब सरकार खुद ही जज और वकील बनकर पैरवी करने लगे, तो सजा तो मिलनी ही है। टिकैत की ऐसी बयानबाजी कोई नई नहीं है। वह और बाकी किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर अड़ी हुई है। जबकि, सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बार-बार कह चुके हैं कि किसान नेता कानूनों में खामियों के बारे में बताएं। सरकार उन खामियों को दूर करेगी। तोमर पहले भी कई दौर की बातचीत किसानों से कर चुके हैं। यहां तक कि उन्होंने अपने साथी मंत्री पीयूष गोयल के साथ किसानों का लाया भोजन भी साथ ही बैठकर खाया था।
इस बीच, रविवार को किसान संगठनों ने दिल्ली पुलिस की उस अपील को ठुकरा दिया जिसमें उनसे संसद के सामने प्रदर्शन करने वालों की संख्या कम रखने के लिए कहा गया था। किसान संगठन 22 जुलाई से संसद के सामने अपनी अलग संसद चलाने पर आमादा हैं। हर रोज 200 किसानों के संसद के सामने धरने पर बैठने का ऐलान उन्होंने कर रखा है। इससे पहले राकेश टिकैत ने यूपी के रामपुर में कहा था कि किसान वापस नहीं आएगा और 5 सितंबर को बड़ी पंचायत बुलाकर आगे का फैसला होगा।
कुल मिलाकर किसान आंदोलन में सियासत का दखल हो गया है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान टिकैत कोलकाता पहुंचे थे और जनता से बीजेपी को हराने की अपील की थी। करीब सात महीने बाद यूपी और उत्तराखंड समेत कई राज्यों के चुनाव हैं। ऐसे में राकेश टिकैत फिलहाल पूरे मसले का हल न होने देने की पूरी कोशिश करते दिख रहे हैं।