नई दिल्ली। कोरोना वायरस को रोकने के लिए दुनियाभर में कई वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं। ऐसे में कुछ वैक्सीन ऐसे भी हैं जिनके कारगर होने का प्रतिशत 90 से भी अधिक है। इस बीच ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका कंपनी (Oxford-AstraZeneca coronavirus vaccine) के कोरोना वैक्सीन (कोवीशील्ड) को लेकर जानकारी सामने आई है कि, इसके दो फुल डोज बेहतर इम्यून रेस्पोंस दे रहे हैं। बता दें कि ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी का कहना है कि एक पूरी डोज के बाद उसकी वैक्सीन आधी बूस्टर डोज के मुकाबले दो पूरी डोज दिए जाने पर ज्यादा बेहतर इम्युन रेस्पांस ट्रिगर करती है। गौरतलब है कि यह दावा वैक्सीन के अंतरिम ट्रायल नतीजों में सामने आए तथ्य के ठीक उलट है। मालूम हो कि यह वैक्सीन भारत में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बना रहा है। वैक्सीन की एफेकसी को लेकर कहा गया कि, इसकी एफेकसी तब अधिक रही जब एक फुल डोज के बाद आधी डोज और दी गई, न कि दो फुल डोज देने पर। गुरुवार को फेज 1/2 क्लिनिकल ट्रायल की डिटेल्स जारी की गई जिसमें हाफ डोज/फुल डोज को लेकर कुछ नहीं कहा गया है।
यूनिवर्सिटी ने इसके लेकर एक बयान जारी किया है जिसमें कहा है कि- पहले हमने एक फुल और एक हाफ डोज देकर ट्रायल किया था। यानी कैंडिडेट को डेढ़ डोज दी गई थी। अब दो फुल डोज दिए गए। इनके नतीजे काफी बेहतर रहे। एक महीने पहले एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड ने वैक्सीन को लेकर कहा था कि, वैक्सीन की बूस्टर डोज सिंगल डोज के मुकाबले मजबूत ऐंटीबॉडी रेस्पांस पैदा करती हैं, स्टैंडर्ड डोज/स्टैंडर्ड डोज से बेस्ट रेस्पांस मिला।
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के अंतरिम नतीजों में डोज की स्ट्रेन्थ के हिसाब से वैक्सीन या तो 90% या 62% असरदार बताई गई थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी औसत एफेकसी 70% थी। मगर कुछ देर बाद ही इस डेटा पर सवाल उठने शुरू हो गए। जिस डोज पैटर्न से 90% तक वैक्सीन असरदार साबित हो रही थी उसमें पार्टिसिपेंट्स को पहले आधी डोज दी गई, फिर महीने भर बाद पूरी। पता चला कि कंपनी ने किसी पार्टिसिपेंट को आधी डोज देने की नहीं सोची थी।
गौरतलब है कि 23 नवंबर को ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका ने बयान जारी कर बताया था कि यूके और ब्राजील में किए गए परीक्षणों में वैक्सीन (AZD1222) काफी असरदार पाई गई। वैक्सीन के आधी डोज दिए जाने पर 90% तक इफेक्टिव मिली। इसके बाद दूसरे महीने में फुल डोज दिए जाने पर 62% असरदार देखी गई। वहीं इसके वैक्सीन का असर 70% तब देखा गया जब एक महीने बाद इसके दो फुल डोज दिए गए।