नई दिल्ली। कभी नागरिकता संशोधन कानून के नाम पर, तो कभी किसान आंदोलन के नाम पर तो कभी आरक्षण के नाम पर तो कभी चुनाव के नाम पर राष्ट्रीय फलक पर देश की छवि को धूमिल करने के लिए शरारती तत्वों द्वारा दंगे फसाद किए जाते हैं। हाल ही में मणिपुर में भी दो समुदायों के बीच हिंसा की खबरें सामने आईं। इन खबरों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जाता है। भले ही विपक्ष मोदी सरकार को धार्मिक उन्माद फैलाने का आरोपी बताती हुई आई हो, लेकिन इस बीच प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Economic Advisory Council for the Prime Minister of India) की सदस्य प्रोफेसर शमिका रवि ने एक सर्वे साझा किया है, जिसमें यह खुलासा किया गया है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में अन्य सरकारों की तुलना में दंगे कम हुए हैं। इतना ही नहीं, इस सर्वे के आधार पर यह दावा किया गया है कि भारत में पिछले 50 सालों की तुलना में सर्वाधिक शांंति रही है। बता दें कि यह सर्वे एनसीआरबी के आंकड़ों के आधार पर तैयार किए गए हैं।
सर्वे में बताया गया है कि 2014 में मोदी सरकार द्वारा देश की कमान संभालने के बाद से लेकर अब तक दंगों में अभूतपूर्व गिरावट दर्ज की गई है। सर्वे में दावा किया गया है कि पूर्व की सरकार में दंगों की रफ्तार इतनी तेज थी कि लोगों का जीना तक मुहाल हो चुका था। लोग खौफ के साए में जीने को मजबूर थे। लेकिन मोदी सरकार ने इस दिशा में ना महज प्रशंसनीय कार्य किया, बल्कि दंगाइयों को भी कड़ा सबक सिखाया, ताकि फिर वो कभी दंगा जैसी नापाक कृत्यों को अंजाम ना दे सके। NCRB की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 1980 के दशक में देश में दंगे चरम पर थे।
Riots (violence) in India is on a steady decline. The country is most peaceful in 50 years. Here’s the updated analysis using NCRB data: https://t.co/RT5ppFdW20 pic.twitter.com/ko9FpA8g21
— Prof. Shamika Ravi (@ShamikaRavi) June 15, 2023
पूर्व की सरकारें दंगों पर अंकुश लगा पाने में पूरी तरह नाकाम रही थीं, जिसका गहरा अघात देश के विकास को पहुंचा। इसके बाद नब्बे के दशक में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनने के बाद दंगों में गिरावट दर्ज की गई। दंगाइयों में खौफ का माहौल पैदा तो हुआ, लेकिन अफसोस यह माहौल ज्यादा दिनों तक बरकरार नहीं रह पाया। ध्यान दें कि सर्वे में यह दावा किया गया है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में देश में दंगों की संख्या में तेजी देखने को मिली थी, लेकिन इसके बाद मोदी सरकार द्वारा देश की कमान अपने हाथों में लेने के बाद दंगाइयों को जिस तरह से कानून का पाठ पढ़ाया गया, उसकी चौतरफा प्रशंसा की जा रही है।
Anecdotes (however powerful) are not substitute to careful objective data analysis. And the data tell us that riots and tensions in India have been falling and very sharply from 1998 onwards. (The maximum riots were in 1981: 110361!) #KnowIndia #NewIndia https://t.co/8zaUKRtQW7 pic.twitter.com/olyR7IBHy9
— Prof. Shamika Ravi (@ShamikaRavi) May 17, 2019
वहीं, सर्वे में यह भी दावा किया गया है कि यह कहना उचित नहीं रहेगा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में राष्ट्र दंगा मुक्त हो चुका है, लेकिन यह कहना जरूर मुनासिब रहेगा कि दंगों में जरूर गिरावट आई है। इसके अलावा जिस तरह दंगाइयों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी और त्वरित कार्रवाई की गई है, उससे उनमें खौफ का माहौल पैदा हुआ है और इस माहौल ने आगे चलकर देश में शांति का माहौल पैदा किया है। बता दें कि यह आंकड़े उन विपक्षी दलों के लिए किसी माकूल जवाब से कम नही हैं, जो मौजूदा सरकार पर दंगाइयों को शह देने और धार्मिक उन्माद पैदा करने का आरोप लगाते हैं।