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लाशों का वेटिंग रुम बने मुंबई के अस्पताल, मुर्दाघरों में जगह नहीं

मुंबई के परेल स्थित किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) अस्पताल में हालात बेहद ही भयावह हैं। यहां 12 अज्ञात शव पिछले तीन हफ्ते से अंतिम संस्कार के इंतजार में हैं। पर इन्हें क्लेम करने वाला कोई नहीं है।

नई दिल्ली। कोरोना से मुंबई में हालात भयावह होते चले जा रहे हैं। मुंबई पहले ही कोरोना पीड़ितों की संख्या के मामले में वुहान को पीछे छोड़ चुका है। मुंबई में आंकड़े 51 हजार को पार कर चुके हैं। इस बीच यहां के अस्पतालों में कोरोना से मृत मरीजों की लाशें लावारिस पड़ी हैं। कोई इन्हें पूछने वाला नहीं है। मुंबई के अस्पताल ऐसी लाशों का वेटिंग रुम बनते जा रहे हैं।

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मुंबई के परेल स्थित किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) अस्पताल में हालात बेहद ही भयावह हैं। यहां 12 अज्ञात शव पिछले तीन हफ्ते से अंतिम संस्कार के इंतजार में हैं। पर इन्हें क्लेम करने वाला कोई नहीं है। इनके परिजन भी यहां नहीं आ रहे हैं। सभी पर कोरोना का डर छाया हुआ है। लोग अपने रिश्तेदारों को ही पहचानने से इंकार कर रहे हैं।

Mumbai
ऐसे में हैरान परेशान अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस से मदद की गुहार की है। अब भोईवाड़ा की पुलिस इन अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार कराएगी। अस्तपाल में शवों को रखने की भी एक निर्धारित क्षमता है। एक बार में सिर्फ 36 शव ही यहां रखे जा सकते हैं। मगर संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इस सिलसिले में राज्यपाल ने आदेश भी जारी किया हुआ है। इस आदेश के मुताबिक मृतकों के परिजनों को मौत के आधे घंटे के भीतर शव सौंपना जरूरी है।

Corona Test
अगर शव लावारिस हो तो उसे 48 घंटे तक अपनी निगरानी में और रखा जा सकता है। इस बीच कांदीवली से एक दर्दनाक किस्सा सामने आया है। यहां के सुधीर रूपचंद का शव पिछले 23 मई से केईएम अस्पताल के मुर्दाघर में पड़ा है, लेकिन उनकी पत्नी भीमा रूपचंद लगातार अपने 42 वर्षीय पति का अंतिम संस्कार करने से घबरा रही हैं। उन्हें डर है कि वह और उनके दो बच्चे, जिनकी उम्र छह और 10 साल है, भी वायरस की चपेट में आ जाएंगे। अब पत्नी की अनुमति के बाद अस्पताल प्रबंधन ही सुधीर का अंतिम संस्कार करेगा।