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किसान आंदोलन के नाम पर दिल्ली में फिर हुई गुंडागर्दी, पत्रकार को किया लहूलुहान, भाजपा नेता का फूटा गुस्सा

Delhi Farmers Protest: किसान आंदोलन के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि, हमने किसानों से नए कृषि क़ानूनों के संदर्भ में बात की है।किसानों को कृषि क़ानूनों के जिस भी प्रावधान मे आपत्ति हैं वे हमें बताए, सरकार आज भी खुले मन से किसानों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार है।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा पारि तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसान संगठन के नेता और सदस्य आज से राजधानी दिल्ली में संसद के पास धरना दे रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर अराजकता की खबरें सामने आने लगी हैं। बता दें कि 22 जुलाई को किसान संगठनों ने दिल्ली पुलिस की कुछ शर्तों को मानते हुए अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा है। वहीं उनके इस प्रदर्शन को लेकर दिल्ली पुलिस ने किसान नेताओं से साफ कह दिया था कि किसी भी सूरत में किसानों को संसद के करीब पहुंचने नहीं दिया जाएगा। मंगलवार को पुलिस और किसान नेताओं के बीच इस मसले पर सहमति नहीं बन सकी थी, लेकिन बुधवार को किसानों ने दिल्ली पुलिस की शर्तें मान लीं। इस बीच बुधवार को हो रहे इस प्रदर्शन में हिंसा की भी खबरें सामने आई हैं। बता दें कि न्यूज 18 चैनल के पत्रकार की पिटाई की खबर सामने आई है। इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता अमित मालवीय ने एक वीडियो भी शेयर किया है।

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वीडियो शेयर करते हुए अमित मालवीय ने लिखा कि, “जिस तरह से इस किसान आंदोलन को बताया जा रहा है वैसा ये बिल्कुल नहीं है। इसमें कोई संदेह नहीं है। इसमें मीडिया को निशाना बनाना, लाल किले में तोड़फोड़ करना, ऐसे समय में सीमाओं को बंद करके रखना जब बुवाई और कटाई का मौसम चरम पर है? ये किसान आंदोलन नहीं हो सकता।”

किसान आंदोलन के नाम पर हुई इस हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। एक यूजर ने लिखा कि, “ये बहुत बड़ी गलती कर दी है सरकार ने, बाद मे इन्हे हटाना नामुमकिन हो जायेगा, योगी सरकार तो 26 जनवरी को ही इनको सबको हटा देती और पूरा पुलिस की तैयारी थी लेकिन मुझे लगता है की मोदी सरकार के दबाव के कारण पीछे हटना पड़ा, वर्ण योगी छोडने वालो मे नही है।”

देखिए लोगों ने किस तरह के रिएक्शन दिए..

वहीं किसान आंदोलन के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि, हमने किसानों से नए कृषि क़ानूनों के संदर्भ में बात की है।किसानों को कृषि क़ानूनों के जिस भी प्रावधान मे आपत्ति हैं वे हमें बताए, सरकार आज भी खुले मन से किसानों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार है।