नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस और कैप्टन अमरिंदर सिंह की मुश्किलें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। पार्टी अंतर्कलह का शिकार है। पार्टी हाईकमान के द्वारा दिल्ली बुलाकर समझौते की सारी कोशिशें भी नाकाम हो गई है। पार्टी के तमाम नेता एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलकर खड़े हो गए हैं और इस सबमें सबसे ज्यादा विरोध का सामना कैप्टन अमरिंदर सिंह को सहना पड़ रहा है। इस पूरे मामले में एक और कलह की गुंजाइश तब शुरू हो गई जब पंजाब कैबिनेट की बैठक में पंजाब के 2 विधायकों और एक कैबिनेट मंत्री के बेटों को सरकारी नौकरियां एक प्रस्ताव लाकर दे दी गई। अब इस पूरे मामले पर सियासी बवाल मचा हुआ है और इस बवाल के पीछे भी कांग्रेस के ही नेता हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए बड़ी शर्मिंदगी इस पूरे में मामले में तब बन गई जब पीपीसीसी अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने उनसे कांग्रेस विधायकों के बेटों को पुलिस इंस्पेक्टर और नायब तहसीलदार की नौकरी देने के फैसले को रद्द करने के लिए कहा।
जानकारी के मुताबिक, पंजाब के कैबिनेट मंत्री गुरप्रीत कांगड़ के दामाद को एक्साइज विभाग में इंस्पेक्टर नियुक्त कर दिया गया। सीनियर कांग्रेस विधायक राकेश पांडे के बेटे को नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्ति दे दी गई जबकि प्रताप सिंह बाजवा के भाई और कांग्रेस विधायक फतेह जंग बाजवा के बेटे को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर नियुक्त कर दिया गया।
Major embarrassment for Capt Amarinder Singh as PPCC President Sunil Jakhar asks him to rescind the decision to give Police Inspector and Naib Tehsildar’s jobs to sons of Congress MLAs. pic.twitter.com/fHtSDUcjDD
— Man Aman Singh Chhina (@manaman_chhina) June 19, 2021
इन तीनों ही नौकरियों को देते हुए पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दलील दी कि इन परिवारों ने पंजाब के लिए कुर्बानी दी है और आतंकवाद के दौर में इन परिवारों ने अपने लोगों को खोया है और ये लोग राजनेता भी थे इसी वजह से पंजाब सरकार की पॉलिसी के हिसाब से कम्पनशेसन के नियमों के हिसाब से ये लोग नौकरी पाने के हकदार हैं और उसी के एवज में इनको ये नौकरियां दी गई है।
सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी किए गए बयान में कहा कि आवेदनकर्ता अर्जुन बाजवा, पंजाब के पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा के पोते हैं, जिन्होंने 1987 में राज्य में शांति के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। मंत्रिमंडल ने एक अन्य मामले में, राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार के रूप में भीष्म पांडेय की नियुक्ति को मंजूरी दी, जो जोगिंदर पाल पांडेय के पोते हैं, जिनकी 1987 में आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। हालांकि कैबिनेट में इस बात को लेकर विरोध भी हुआ।