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डॉ. के ए पॉल ने राष्ट्रपति ट्रंप से अमेरिका-भारत संबंधों को मजबूत करने की अपील की, वैश्विक शांति के लिए संतुलित दृष्टिकोण पर दिया जोर

“शांति का वास्तविक अर्थ सभी पक्षों की भागीदारी में निहित है; एकतरफा समाधान सिर्फ मतभेदों को बढ़ावा देते हैं,” डॉ. पॉल ने कहा। उन्होंने 2018 में अमेरिकी दूतावास को यरुशलम में स्थानांतरित करने के ट्रंप के निर्णय की सराहना की, इसे कूटनीतिक संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। हालांकि, उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रुपये को डॉलर के बराबर लाने के वादे पर भी चिंता व्यक्त की, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है।

नई दिल्ली। प्रसिद्ध मानवतावादी और वैश्विक शांति के समर्थक, डॉ. के ए पॉल ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी नीति निर्माताओं से आग्रह किया है कि वे शांति के लिए एक संतुलित और समावेशी दृष्टिकोण अपनाएं, जैसा कि उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष में किया है। डॉ. पॉल ने ट्रंप के इस पहल की सराहना की, जिसमें उन्होंने सभी पक्षों की बात को समझने और समाधान निकालने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सच्ची शांति तभी संभव है जब सभी पक्षों का संवाद और सहयोग शामिल हो।

“शांति का वास्तविक अर्थ सभी पक्षों की भागीदारी में निहित है; एकतरफा समाधान सिर्फ मतभेदों को बढ़ावा देते हैं,” डॉ. पॉल ने कहा। उन्होंने 2018 में अमेरिकी दूतावास को यरुशलम में स्थानांतरित करने के ट्रंप के निर्णय की सराहना की, इसे कूटनीतिक संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। हालांकि, उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रुपये को डॉलर के बराबर लाने के वादे पर भी चिंता व्यक्त की, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है।

डॉ. पॉल ने भारत को अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में मान्यता देने की आवश्यकता पर जोर दिया, खासकर चीन के खिलाफ रणनीतिक रूप से। “गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसे टेक्नोलॉजी जगत में भारत का योगदान यह बताता है कि अमेरिका को भारत को एक समान सहयोगी के रूप में देखना चाहिए,” उन्होंने कहा। पॉल ने ट्रंप से अमेरिका-भारत संबंधों को मजबूत करने वाली नीतियों को अपनाने का आग्रह किया, जिसमें भारत की भूमिका को एक स्थिर शक्ति और विज्ञान, चिकित्सा तथा नवाचार में एक अग्रणी शक्ति के रूप में मान्यता दी गई है।

डॉ. पॉल ने इस दिशा में अमेरिका-भारत वीजा माफी कार्यक्रम का प्रस्ताव रखा, जिससे भारतीय छात्रों और कुशल श्रमिकों के लिए शैक्षणिक और पेशेवर अवसर बढ़ सकें। इसके अतिरिक्त, उन्होंने एक द्वैत नागरिकता व्यवस्था का भी सुझाव दिया, जो अमेरिका और कनाडा तथा यूरोपीय देशों के साथ की गई समझौतों के समान हो, ताकि सीमाओं के पार सहयोग को प्रोत्साहन मिले और भारत की रणनीतिक महत्वता को पहचाना जा सके।

भविष्य की ओर दृष्टि रखते हुए, डॉ. पॉल ने 23 नवंबर को प्रस्तावित एक वैश्विक शांति सम्मेलन की घोषणा की, जिसमें वह भारत को अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने इस पहल में भाग लेने के लिए भारत के प्रमुख राजनीतिक नेताओं को आमंत्रित किया है, जिनमें से कई ने शामिल होने की पुष्टि भी कर दी है, ताकि भारत को वैश्विक स्थिरता और शांति के लिए एक अग्रणी शक्ति के रूप में उभरने का अवसर मिल सके।

पिछले अमेरिकी चुनावों में अपने प्रभाव को याद करते हुए, पॉल ने उन 7 प्रमुख राज्यों में मतदाताओं की सक्रियता पर जोर दिया, जहां उन्होंने अपने समर्थकों को राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थन में संगठित किया था। “मतदान में सक्रियता ने हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाई है, और मैंने स्वयं देखा है कि कैसे प्रत्येक वोट का महत्व होता है,” उन्होंने जोर देकर कहा। पॉल ने नैतिक चुनाव प्रचार पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया, जैसा कि हाल ही में एक भारतीय चुनाव में युवा सांसद रिकी एंड्रू द्वारा किए गए छोटे बजट में किया गया था, जो आमतौर पर बड़े बजट वाले अभियानों से भिन्न है।

डॉ. रिकी एंड्रू जे. संगकॉन, सांसद, शिलांग, ने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति को बधाई, जिनकी आस्था ने उन्हें विजय दिलाई है। यह जीत हमें याद दिलाती है कि विश्वास रखने वालों के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। मुझे उम्मीद है कि अमेरिका और भारत, दो महान लोकतंत्र, एक साथ मिलकर समता, न्याय और ईमानदारी का समर्थन करेंगे। डॉ. के ए पॉल द्वारा आयोजित यह शांति सम्मेलन हमें शांति के मार्ग पर आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है, जो दुनिया में उम्मीद की किरण फैलाने के लिए प्रयासरत है।”

ग्लोबल पीस समिट डॉ. पॉल की नवीनतम पहल है, जो वैश्विक शक्तियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने और अमेरिका-भारत संबंधों को मजबूत बनाने पर केंद्रित है ताकि एक अधिक आपस में जुड़ी और शांतिपूर्ण दुनिया का निर्माण किया जा सके।