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ई-पुस्तक ‘आपातकाल: लोकतंत्र की हत्या और पुनर्जन्म, न भूलेंगे न माफ करेंगे’  का  जेएनयू में हुआ विमोचन

‘आपातकाल: लोकतंत्र की हत्या और पुनर्जन्म, न भूलेंगे न माफ करेंगे’ नामक पुस्तक का संपादन जेएनयू के छात्र प्रशांत शाही ने किया है।

नई दिल्ली। अभाविप तथा वाल्मीकि स्टडी सर्कल जेएनयू के प्रयासों से आपातकाल पर लिखी ई-पुस्तक का विमोचन आपातकाल के खिलाफ मोर्चे के प्रमुख व्यक्तित्वों में एक व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय द्वारा किया गया। ‘आपातकाल: लोकतंत्र की हत्या और पुनर्जन्म, न भूलेंगे न माफ करेंगे’ नामक पुस्तक का संपादन जेएनयू के छात्र प्रशांत शाही ने किया है।

इस अवसर पर राम बहादुर राय ने आपातकाल को याद करते हुए कहा कि आपातकाल लगाकर किस प्रकार इंदिरा गांधी ने निजी संकट को एक राष्ट्रीय संकट बना दिया। आपातकाल को देश के राजनैतिक इतिहास का सबसे काला अध्याय बताते हुए राम बहादुर राय ने कहा कि इंदिरा गांधी ने करीब 2 साल तक अपनी कुर्सी बचाये रखने के लिये देश को झूठ बोला। आज की युवा पीढ़ी को लोकतंत्र और स्वतंत्रता के मायनों को समझने के लिये आपातकाल के बारे में जानना अतिआवश्यक है।


उन्होंने आगे कहा कि आपातकाल में संसदीय व्यवस्था एवं न्यायालय को खिलौना बना दिया गया था। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खत्म कर दी गई थी। सारे नेताओं को रातों रात जेल में बंद कर अराजकता की स्थिति पैदा कर दी गई, जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में हुए जन आंदोलन ने इंदिरा गांधी को भारतीय लोकतंत्र की शक्ति का परिचय कराया और अंत में न चाहते हुए भी इंदिरा गांधी को आपातकाल वापस हटाने का फैसला करना पड़ा।

Prashant Sahi Book leaf

इस मौके पर ई-पुस्तक के संपादक प्रशांत शाही ने कहा कि यह पुस्तक स्वतंत्र भारत के इतिहास के एक बेहद महत्वपूर्ण मोड़ ‘आपातकाल’ के ऐसे पहलुओं पर लिखे गए लेखों का संकलन है जो आम तौर पर अकादमिक जगत में अछूते रह गए हैं। गुणवत्तापूर्ण शोध पर आधारित यह पुस्तक निश्चय ही आपातकाल के विभिन्न आयामों से नई पीढ़ी को अवगत कराने में सफल होगी‌।

इस अवसर पर अभाविप जेएनयू इकाई के अध्यक्ष शिवम चौरसिया ने बताया कि इस पुस्तक के माध्यम से परिषद का उद्देश्य आज की युवा पीढ़ी को यह सन्देश देना है कि वर्तमान समय में अगर हमारी व्यवस्था में आपातकाल जैसी लोकतंत्रविरोधी मानसिकता के व्यक्ति या दल सक्रिय हों तो हम अपना उत्तरदायित्व निर्वहन करते हुए उन्हें उजागर करते हुए परास्त करें।

Prashant Sahi Book leaf

अभाविप जेएनयू के इकाई मंत्री गोविन्द दांगी ने भी इस मौके पर अपने विचार रखे और कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के आपातकाल के दौरान किये गये संघर्षों के बारे में इस पुस्तक में वर्णन किया गया है।