
नई दिल्ली। हरियाणा के गुरुग्राम जिले स्थित शिकोहपुर में जमीन सौदे के मामले में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं! प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने शिकोहपुर जमीन सौदा मामले में गुरुवार को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। ईडी की चार्जशीट में शिकोहपुर जमीन सौदा मामले में रॉबर्ट वाड्रा और कई कंपनियों और अन्य लोगों के नाम शामिल हैं। ईडी की चार्जशीट में रॉबर्ट वाड्रा का नाम होने से सियासत गर्माने की संभावना है।
ईडी ने इस मामले में अप्रैल और मई 2025 में करीब 18 घंटे तक रॉबर्ट वाड्रा से पूछताछ की थी। मनी लॉन्ड्रिंग रोकने संबंधी पीएमएलए के तहत शिकोहपुर जमीन संबंधी मामले में ईडी ने केस दर्ज किया था। चार्जशीट में रॉबर्ट वाड्रा को ईडी ने शिकोहपुर जमीन सौदा मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी बनाया है। आरोप है कि रॉबर्ट वाड्रा की स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी कंपनी ने साल 2008 में शिकोहपुर में 7.5 करोड़ रुपए में 3.5 एकड़ जमीन खरीदी। इस जमीन को बिना प्रोजेक्ट पूरा किए 58 करोड़ में बेचा गया। जिस दौर में शिकोहपुर जमीन का मामला हुआ, उस वक्त हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा सीएम थे।

ईडी के मुताबिक भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने रॉबर्ट वाड्रा को कुल जमीन में से 2.70 एकड़ पर कॉमर्शियल कॉलोनी बनाने के लिए इजाजत दी थी, लेकिन रॉबर्ट वाड्रा ने कॉलोनी बनाने की जगह इस जमीन को डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेच दिया। आरोप है कि ये सौदा कर रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने करोड़ों का मुनाफा कमाया। रॉबर्ट वाड्रा ने डीएलएफ को जमीन तो बेच दी थी, लेकिन हरियाणा सरकार के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने कॉलोनी बनाने के वास्ते दिए गए लाइसेंस को ट्रांसफर करने की मंजूरी नहीं दी थी। खास बात ये भी है कि रॉबर्ट वाड्रा ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से जमीन खरीदी, तो उसका म्यूटेशन भी 24 घंटे में कर दिया गया। जबकि, म्यूटेशन की प्रक्रिया में जांच वगैरा के कारण तीन महीने तक का वक्त लगता है। जनवरी 2019 में गुरुग्राम पुलिस की एफआईआर के बाद ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी। आईएएस अफसर रहे अशोक खेमका ने जमीन सौदे में अनियमितता होने को उजागर किया था। जिसके बाद उनका कई बार ट्रांसफर भी हुआ था।