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Big News: कुतुबमीनार परिसर की खोदाई कराकर असली इतिहास जानने की तैयारी में मोदी सरकार, सूत्रों के मुताबिक ASI से मांगी रिपोर्ट, हिंदू संगठन मानते हैं विष्णु स्तंभ

कई हिंदू संगठनों का कहना है कि इसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने नहीं, महान भारतीय गणितज्ञ वाराहमिहिर ने बनवाया था। यहां से वो सूर्य और चांद के बारे में अध्ययन करते थे। दावा किया जाता है कि कुतुबमीनार के सबसे ऊपर के तल पर खड़े होकर नीचे देखें, तो कमल की आकृति नजर आती है।

नई दिल्ली। बड़ी खबर दिल्ली से आई है। सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने कुतुबमीनार परिसर की खोदाई कराने का सैद्धांतिक तौर पर फैसला किया है। इसके लिए भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ASI से रिपोर्ट मांगी गई है। इस खोदाई के जरिए कुतुबमीनार परिसर की हकीकत पता करना है। हाल के दिनों में कुतुबमीनार के बारे में दावा किया जा रहा है कि ये हिंदुओं का बनवाया हुआ है। परिसर में स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को लेकर भी विवाद खड़ा हो चुका है। जल्दी ही एएसआई यहां खोदाई का काम शुरू करा सकता है। सूत्रों के मुताबिक पहले एएसआई की रिपोर्ट का अध्ययन होगा। इसके बाद खोदाई के आदेश दिए जा सकते हैं। मोदी सरकार में मंत्री प्रह्लाद पटेल ने भी बीते दिनों कहा था कि वहां के बारे में जांच कराई, तो पता चला कि हिंदू मंदिरों के अवशेष पर परिसर बना है। प्रह्लाद पटेल पहले संस्कृति मंत्री थे।


कुतुबमीनार के बारे में इतिहास बताता है कि इसे आक्रांता मोहम्मद गोरी के बनवाना शुरू किया। उसकी मौत के बाद उसके सिपहसालार और गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक और बाद के सुल्तानों ने इसे पूरा कराया। कहा जाता है कि पहले इसमें सात खंड थे। आकाशीय बिजली गिरने से दो खंड नष्ट हो गए। वहीं, कई हिंदू संगठनों का कहना है कि इसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने नहीं, महान भारतीय गणितज्ञ वाराहमिहिर ने बनवाया था। यहां से वो सूर्य और चांद के बारे में अध्ययन करते थे। दावा किया जाता है कि कुतुबमीनार के सबसे ऊपर के तल पर खड़े होकर नीचे देखें, तो कमल की आकृति नजर आती है। जबकि, इस्लाम में इस तरह की आकृति देखने को नहीं मिलती। हिंदू संगठन कुतुबमीनार को विष्णु स्तंभ कहते हैं।

qutub minar

पिछले दिनों कुतुबमीनार परिसर स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को लेकर भी विवाद खड़ा हुआ था। हिंदू संगठनों ने इस मस्जिद में लगी 27 हिंदू और जैन मंदिरों की मूर्तियों का मुद्दा उठाते हुए मस्जिद को हिंदुओं को सौंपने की मांग की थी। एक हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने यहां पहुंचकर मस्जिद के सामने हनुमान चालीसा पढ़ने की कोशिश भी की थी। अब एएसआई अगर परिसर में खोदाई कराता है, तो इससे वहां का असली इतिहास पता चल सकता है।