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Farm Law Repeal: जानिए, तीनों कृषि कानून के बारे में जिसे लेकर देश में मचा था बवाल

Farm Law Repeal: शुक्रवार सुबह राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने किसानों के लिए बनाए गए तीनों कृषि कानूनों को वापिस ले लिया है। जिसके बाद कई लोग सरकार के इस फैसले की सराहना कर रहे हैं, तो वहीं विपक्ष की ओर से भी इस फैसले पर कई तरह की प्रतिक्रिया सामने आई हैं।

नई दिल्ली। शुक्रवार सुबह राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने किसानों के लिए बनाए गए तीनों कृषि कानूनों को वापिस ले लिया है। जिसके बाद कई लोग सरकार के इस फैसले की सराहना कर रहे हैं, तो वहीं विपक्ष की ओर से भी इस फैसले पर कई तरह की प्रतिक्रिया सामने आई हैं। राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने ऐलान किया कि ”आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।”

इन कृषि कानूनों को लिया गया वापिस

केंद्र की बीजेपी सरकार की ओर से किसानों के हित में तीन कृषि कानून बनाए गए थे। पहला कानून था- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम -2020, दूसरा कानून था- कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 और तीसरा कानून था- आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020। जो अब वापिस ले लिए गए हैं।

कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य अधिनियम 2020

इस कानून के तहत देश के किसानों को उनकी उपज बेचने के लिए अधिक विकल्प मुहैया कराने का उद्देश्य रखा गया था। यह कानून देश के किसानों को अच्छी कीमत पर अपनी फसल बेचने की स्वतंत्रता देने के लिए बनाया गया था। इसके साथ ही यह, राज्य सरकारों को मंडी के बाहर होने वाली उपज की खरीद-फरोख्त पर टैक्स वसूलने से रोक लगाता था। इस कानून के तहत किसान अपनी फसलों को देश के किसी भी हिस्से में किसी भी व्यक्ति, दुकानदार, संस्था आदि को बेच सकते थे। बल्कि किसानों को खुद अपनी उपज की कीमत तय करने की अनुमति थी।

Kisan Leader Rakesh

कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020

इस कानून के तहत देशभर के किसान बुआई से पहले ही तय मानकों और तय कीमत के हिसाब से अपनी फसल को बेच सकते थे। यह कानून कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से जुड़ा हुआ है, इस कानून को लेकर सरकार का कहना था कि इससे किसानों को नुकसान का जोखिम काफी कम रहेगा। साथ ही फसल तैयार होने के बाद खरीदारों को जगह-जगह जाकर ढूंढने की जरूरत भी नहीं होगी।

आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020

फसलों के भंडारण और काला बाजारी को रोकने के लिए सरकार ने पहले Essential Commodity Act 1955 भी बनाया था। जिसके तहत व्यापारी एक सीमित मात्रा में ही किसी भी कृषि उपज का भंडारण कर सकते थे। वे तय सीमा से बढ़कर किसी भी फसल को स्टॉक में नहीं रख सकते थे। नए कृषि कानूनों में आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 के तहत अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी कई फसलों को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से बाहर कर दिया।