नई दिल्ली। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का आरोप है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव जब यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे, तो उन्होंने जमीन लेकर रेलवे में लोगों को नौकरी दी थी। इस मामले को आईआरसीटीसी घोटाले के नाम से जाना जाता है। जमीन लेकर रेलवे में नौकरी देने के घोटाले के सिलसिले में ईडी ने शुक्रवार को लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव और उनकी बेटियों के अलावा कई करीबियों के घर एक साथ छापे मारे थे। करीब 14 घंटे तक ईडी की छापेमारी चलती रही थी। सूत्रों के मुताबिक लालू के रिश्तेदारों और करीबियों के घर से ईडी को काफी कुछ मिला है।
ईडी सूत्रों के जरिए मीडिया में खबर है कि लालू की बेटियों और करीबियों के यहां पड़े छापे में ईडी को 53 लाख रुपए कैश, 1900 अमेरिकी डॉलर, 540 ग्राम सोना, 1.5 किलो सोने के जेवर और कुछ दस्तावेज हाथ लगे हैं। ईडी ने आरोपियों के ठिकानों से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी जब्त किए हैं। इन इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को ईडी खंगालकर देखेगी कि जमीन के बदले नौकरी मामले के सबूत मिलते हैं या नहीं। ईडी ने शुक्रवार को पटना, फुलवारी शरीफ, दिल्ली-एनसीआर, रांची और मुंबई में छापे मारे थे। छापे की कार्रवाई तेजस्वी यादव, लालू की बेटियों हेमा, चंदा और रागिनी यादव के यहां भी हुई थी। इसके अलावा आरजेडी के पूर्व विधायक अबु दुजाना, अमित कत्याल, नवदीप सरदाना और प्रवीण जैन के यहां भी ईडी ने छापे मारे थे।
इस मामले में सीबीआई ने हाल ही में लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी से भी पूछताछ की थी। सीबीआई के मुताबिक लालू यादव के रेल मंत्री रहते साल 2004 से 2009 तक रेलवे के कई जोन में ग्रुप डी पर लोगों को नौकरी पर रखा गया। इन लोगों ने अपनी जमीनें लालू यादव के बेटे-बेटियों और एके इन्फोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दीं। जांच एजेंसी के मुताबिक एके इन्फोसिस्टम में लालू की बेटियां रागिनी और चंदा यादव डायरेक्टर रही हैं। लालू का परिवार इस आरोप को गलत बताता है।