नई दिल्ली। दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और अमित देसाई ने दलीलें पेश कीं। वहीं, ईडी की ओर से एडीशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू उपस्थित हुए।
Delhi High Court reserves order on Chief Minister Arvind Kejriwal’s plea challenging his arrest by ED and remand in alleged liquor policy case. #ArvindKejriwal #ED pic.twitter.com/NqOy80Gwh5
— Live Law (@LiveLawIndia) April 3, 2024
केजरीवाल की याचिका पर हाई कोर्ट में ईडी की तरफ से पेश एएसजी राजू ने कहा, सिंघवी की सारी दलीलें बेइमानी हैं। उन्होंने मुकदमे को निरस्त करने के हिसाब से दलीलें रख दीं। यह शुरुआती स्टेज है। हमें संपत्ति की जब्ती करनी है। लेकिन समस्या यह है कि इस पर यह कहेंगे कि चुनाव के समय पार्टी को परेशान किया जा रहा है। ईडी ने अपने हलफनामे में केजरीवाल को मुख्य साजिशकर्ता बताया है। जांच एजेंसी का कहना है कि आम आदमी पार्टी के संयोजक केजरीवाल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूरी तरह से शामिल हैं। ईडी के वकील ने कहा कि केजरीवाल ने दिखावे के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी। रिश्वतखोरी में केजरीवाल शामिल थे। गोवा चुनाव में 45 करोड़ का इस्तेमाल हुआ। गोवा में चार रूट से पैसे भेजे गए थे। रिश्वत के पैसे कैश में लिए गए थे। ईडी ने कहा कि आम आदमी पार्टी एक राजनीतिक पार्टी नहीं कंपनी की तरह काम करती है। केजरीवाल आप के कर्ता-धर्ता हैं और वे अपने सहयोगियों के लिए भी जवाबदेह हैं।
वहीं केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ईडी ने स्पष्ट रूप से बिना किसी पूछताछ और बिना कोई बयान दर्ज किए सीधे गिरफ्तार कर लिया। इस केस में चुनाव से पहले गिफ्तारी बहुत कुछ सवाल खड़े कर रही है। सिंघवी ने कहा कि गिरफ्तार करते वक्त केजरीवाल के घर पर कोई बयान लेने की कोशिश नहीं हुई। सिंघवी ने कहा कि चुनाव के बीच में गिरफ्तारी क्यों की गई। सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि यह दो साल पुराना केस है, ऐसे में चुनाव से ठीक पहले दिल्ली सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी की गई, यह अपने आप में सवाल है कि आखिर गिरफ्तारी के लिए ईडी ने यही समय क्यों चुना।