उत्तरकाशी। आए दिन कुछ लोग सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखते हैं। बयान देते हैं और जोर-जोर से कहते हैं कि देश में सांप्रदायिकता बढ़ रही है। ऐसे लोग आरोप लगाते हैं कि भारत का माहौल ऐसा बन गया है कि हिंदू और मुस्लिम समुदाय में खाई गहरी हो रही है, लेकिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा सुरंग से मजदूरों को बाहर निकाला गया, तो सांप्रदायिकता बढ़ने की दुहाई देकर हिंदू-मुस्लिम एकता टूटने की बात कहने वालों को भी जवाब मिल गया है। ये जवाब मिला है उन रैट माइनर्स से, जिन्होंने सिर्फ छोटे फावड़े और अपने हाथों से 24 घंटे में 10 मीटर मलबा हटाकर मजदूरों को बाहर निकालने में बड़ी भूमिका निभाई। जिन रैट माइनर्स को यहां मलबा हटाने के लिए लाया गया था, उनमें हिंदुओं के अलावा मुस्लिम समुदाय के लोग भी हैं।
रैट माइनर्स टीम के लीडर का नाम वकील हसन है। वहीं, जिन दो रैट माइनर्स ने आखिरी के 2 मीटर का मलबा हटाया, उनमें से एक का नाम फिरोज कुरैशी है। न्यूज चैनल आजतक के मुताबिक फिरोज कुरैशी जब मलबा हटाकर सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों तक पहुंचे, तो उन्होंने शुक्रिया जताते हुए उनको कंधे पर उठा लिया और खुशी से झूम उठे। इतना ही नहीं, फिरोज और उनके साथ गए रैट माइनर मोनू को मजदूरों ने अपने पास रखे बादाम भी खिलाए। तो सोचिए, न तो सरकार ने सोचा और न फंसे हुए मजदूरों ने कि बचाव का काम हिंदू कर रहे है या मुस्लिम। इससे उन लोगों को जरूर अहसास होना चाहिए, जो आए दिन हिंदू और मुस्लिम का राग अलापते हैं। रैट माइनर्स टीम के मुखिया वकील हसन के मुताबिक 4 दिन पहले उनको यहां आकर मजदूरों को निकालने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। ऑगर मशीन का हिस्सा मलबे में फंसने के कारण इस काम में देरी हुई। वकील हसन ने भी मजदूरों को बाहर निकाले जाने पर खूब खुशी जताई।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में 12 नवंबर को तड़के 5.30 बजे धंसाव हो गया था। इस धंसाव के कारण सुरंग में 60 मीटर दूरी तक मलबा भर गया था और 41 मजदूर उसके पीछे फंस गए थे। इन मजदूरों को निकालने के लिए ऑगर मशीन लगाई गई थी, लेकिन 50 मीटर तक मलबा काटने के बाद सरिया में उलझकर मशीन के ब्लेड क्षतिग्रस्त हो गए थे और बड़ा हिस्सा टूट भी गया था। इस हिस्से को प्लाज्मा कटर से काटने के बाद रैट माइनर्स ने बाकी की दूरी हाथों से मलबा हटाकर तय की और मजदूरों को सकुशल निकाल लिया।