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Women Safety: महिला सुरक्षा को लेकर गृह मंत्रालय हुआ सख्त, जारी की राज्यों के लिए नई एडवायजरी

Women Safety: माना जा रहा है कि बीते दिनों में उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh), छत्तीसगढ़, राजस्थान(Rajasthan) व कुछ अन्य राज्यों में महिलाओं के खिलाख हालिया घटनाओं के मद्देनजर ऐसा किया गया है।

नई दिल्ली। महिलाओं के खिलाफ बढ़ते आपराधिक मामलों को देखते हुए अब गृह मंत्रालय सख्त हो गया है। ऐसे में शनिवार को गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए दिशा-निर्देश जारी करते हुए महिला अपराध के मामलों में पुलिस की कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है। ऐसे मामलों में सही तरीके से काम करने और मामलों में लापरवाही न बरतने का दिशा-निर्देश दिया गया है। साथ ही ये भी कहा गया है कि, नियमों का पालन नहीं करना न्याय दिलाने के लिहाज उचित नहीं होगा। माना जा रहा है कि बीते दिनों में उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान व कुछ अन्य राज्यों में महिलाओं के खिलाख हालिया घटनाओं के मद्देनजर ऐसा किया गया है। महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध को लेकर गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि यदि थाने के अधिकार क्षेत्र के बाहर महिला के खिलाफ अपराध हुआ है तो उस स्थिति में जीरो एफआईआर दर्ज की जाए।

Women Safety

गृह मंत्रालय ने निर्देश देते हुए दुष्कर्म के मामलों में जल्द एफआइआर दर्ज करने को कहा है। मंत्रालय ने अपनी एडवायजरी में सबूत जुटाने और समय पर फॉरेंसिक जांच करने का निर्देश है।

दिशा-निर्देशों में साफ कहा गया है कि अगर महिलाओं के खिलाफ अपराधों में अगर कोई चूक होती है तो मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। भारतीय दंड संहिता की धारा 166 (A) FIR दर्ज न करने की स्थिति में पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की इजाज़त देता है। सीआरपीसी की धारा 173 के तहत दुष्कर्म के मामले में 2 महीने के भीतर जांच पूरी करना ज़रूरी है।

शनिवार को जारी किए गए एक सलाह में गृह मंत्रालय की महिला सुरक्षा प्रभाग ने दंड प्रक्रिया संहिता के तीन प्रमुख खंडों पर प्रकाश डाला, जो “एफआईआर के अनिवार्य पंजीकरण”, 60 दिनों के भीतर जांच (बलात्कार के संबंध में) और एक अनिवार्य चिकित्सा से संबंधित हैं।