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SARC foreign minister meeting: सार्क बैठक में पाकिस्तान के सामने भारत ने उठाया आतंकवाद का मुद्दा, ये बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

SARC foreign minister meeting: भारत (India) के विदेश मंत्री एस जयशंकर (Foreign Minister S. Jaishankar) ने इस बात का भी जिक्र किया कि सार्क (SARC) के सामने तीन सबसे बड़ी चुनौतियां सीमापार से आतंकवाद, व्यापार में बाधा, कनेक्टिविटी में रुकावट हैं जिनका समाधान किया जाना चाहिए।

नई दिल्ली। पाकिस्तान को आतंक प्रायोजित करनेवाला बताकर कई मंच पर भारत ने इसे साबित भी कर दिया है। अब सार्क देशों की बैठक में एक बार फिर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान के सामने आतंकवाद का मुद्दा उठाया है। इसके साथ ही एस जयशंकर ने सार्क देशों के सामने खड़ी 3 चुनौतियों से भी सबको अवगत कराया। कोरोना संकट के बीच गुरुवार को SAARC विदेश मंत्रियों की वर्चुअल बैठक हुई जिसमें विदेश मंत्री जयशंकर ने सीमा पार से जारी आतंकवाद का मुद्दा उठाया।

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इसके साथ ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात का भी जिक्र किया कि सार्क के सामने तीन सबसे बड़ी चुनौतियां सीमापार से आतंकवाद, व्यापार में बाधा, कनेक्टिविटी में रुकावट हैं जिनका समाधान किया जाना चाहिए।


इस मामले पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर कहा कि आज SAARC विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक को संबोधित किया। नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के प्रति भारत की ओर से प्रतिबद्धता और दक्षिण एशिया के एकीकृत, सुरक्षित तथा समृद्धि को लेकर जिक्र किया गया।


बैठक में भारत की ओर से यह भी कहा गया कि भारत आतंकवाद और इसके प्रायोजकों का मुकाबला करने के लिए अधिक सामूहिक प्रयासों का आह्वान करता है। अफगान शांति प्रक्रिया के लिए भारत का समर्थन यह पुष्टि करता है कि वह राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है और लोकतांत्रिक प्रगति को संरक्षित करता भी है। बैठक में भारत, चीन, पाकिस्तान, ईरान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के विदेश मंत्री उपस्थित रहे।


इस बैठक की खास बात यह रही की भारत के पूर्व के विरोध की वजह से सार्क बैठक के दौरान पाकिस्तान की ओर से बैकग्राउंड में कोई नक्शा नहीं लगाया गया। वहीं एस जयशंकर से पहले बोलते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सार्क बैठक में अपने भाषण में कश्मीर का जिक्र नहीं किया। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने अपने भाषण में संयुक्त राष्ट्र चार्टर और प्रस्तावों को लागू करने समेत कई मुद्दों का जिक्र किया जबकि वह कश्मीर का जिक्र करने से बचते दिखे।