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भारत को इतिहास के नाम पर पढ़ाया गढ़ा हुआ नैरेटिव, लेकिन समाज में फिर भी जिंदा रहीं वीरता की कहानियां : PM मोदी

PM Modi : गोविंद सिंह के दोनों पुत्रों के बलिदान दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि जोरावर सिंह साहब और फतेह सिंह साहब को जिंदा दीवार में चिनवा दिया गया। एक तरफ नृशंसता ने अपने सारे कीर्तिमान तोड़ दिए तो वहीं धैर्य ने भी अपनी पराकाष्ठा दिखाई।

नई दिल्ली। आज गुरु गोविंद सिंह के दोनों पुत्रों साहेबजादे फतेह सिंह और जोरावर सिंह के बलिदान दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने दिल्ली के ध्यानचंद स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने गुरु गोविंद सिंह के दोनों पुत्रों को नमन करते हुए कहा कि चमकौर और सरहिंद के युद्ध में जो कुछ हुआ, वह ना भूतो ना भविष्यति था। उन्होंने कहा कि यह युद्ध हजारों साल पुराना नहीं है कि उसकी यादें धुंधली हो गई हों। यह इस देश में तीन सदी पहले ही हुआ था। एक तरफ कट्टर मुगल सल्तनत थी तो वहीं ज्ञान और तपस्या में तपे हुए हमारे गुरु थे। एक तरफ आतंक की पराकाष्ठा थी तो दूसरी तरफ अध्यात्म का शीर्ष। उन्होंने कहा कि एक तरफ लाखों की फौज थी तो दूसरी तरफ अकेले ही निडर खड़े वीर साहिबजादे। उन्होंने इस दौरान देश में इतिहास के सिलेबस पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हमें इतिहास के नाम पर वो गढ़े हुए नैरेटिव बताए और पढ़ाए जाते रहे, जिनसे हमारे भीतर हीनभावना पैदा हो। इसके बाद भी हमारे समाज और परंपराओं ने इन गौरव गाथाओं को जिंदा रखा। यदि हमें भारत को भविष्य में सफलता के शिखरों तक ले जाना है तो हमें अतीत के संकुचित नजरियों से भी मुक्त होना होगा।

इसके साथ ही गुरु गोविंद सिंह के दोनों पुत्रों के बलिदान दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि जोरावर सिंह साहब और फतेह सिंह साहब को जिंदा दीवार में चिनवा दिया गया। एक तरफ नृशंसता ने अपने सारे कीर्तिमान तोड़ दिए तो वहीं धैर्य ने भी अपनी पराकाष्ठा दिखाई। जिस देश की विरासत ऐसी हो, उसमें स्वाभाविक रूप से स्वाभिमान और आत्मविश्वास कूट-कूटकर भरा होना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में देश ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का संकल्प फूंका है। वीर बाल दिवस हमारे पंच प्रणों के लिए प्राण वायु की तरह है। जिस समाज में नई पीढ़ी जोर जुल्म के आगे घुटने टेक देती है, उसका भविष्य समाप्त हो जाता है। प्रधानमंत्री ने शबद कीरतन के बाद अपने संबोधन में कहा, ‘भारत के वो वीर बालक मौत से भी नहीं घबराए। दीवार में जिंदा चिनवा दिए गए, लेकिन आततायी मंसूबों को ध्वस्त कर दिया। यही युवाओं का सामर्थ्य होता है। आज भारत की युवा पीढ़ी भी इसी संकल्प के साथ देश को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए निकल पड़ी है। इसलिए वीर बाल दिवस की भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई है।’

इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि सिख गुरु परंपरा सिर्फ आस्था और अध्यात्म की ही परंपरा नहीं है। यह एक भारत और श्रेष्ठ भारत के लिए भी प्रेरणा पुंज है। गुरु ग्रंथ साहिब इसका प्रमाण है। इसमें 14 रचनाकारों और 15 संतों के वचन शामिल हैं। गुरु नानक का पूरा जीवन देश के अलग-अलग हिस्सों में बीता। गुरु के पंच प्यारों में सभी देश के अलग-अलग हिस्सों से थे। पंच प्यारों में से एक तो गुजरात के द्वारका के भी थे, जहां मुझे जन्म का सौभाग्य मिला। पीएम मोदी बोले, ‘बेटों के बलिदान पर गुरु गोबिंद सिंह ने कहा था, चार मुए तो क्या हुआ, जीवत कई हजार। यानी चार बेटे नहीं रहे तब भी हजारों बेटे हैं। देश को प्रथम रखने की यही प्रेरणा और परंपरा है। अब इस परंपरा को मजबूत रखने की जिम्मेदारी हमारे ऊपर है।’