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Video: फिर बजा भारतीय वैज्ञानिकों का डंका, ISRO ने किया ये बड़ा कारनामा, एक साथ लॉन्च किए 9 सैटेलाइट

इसे मुश्किल कार्य के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि हमारे वैज्ञानिकों ने इस दुभर कार्य को बेहद ही सरलता कर दिखाया है, जिसके लिए उनकी जितनी प्रसन्नता की जाए, उतनी कम है। आपको बता दें कि इसरो के मुताबिक, यह प्रक्षेपण कार्य शनिवा 11 बजकर 56 मिनट पर किया गया।

नई दिल्ली। इससे पहले भी आपने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा स्थापित किए गए कीर्तिमानों के बारे में पढ़ा होगा, लेकिन आज इस रिपोर्ट में हम आपको इसरो द्वारा स्थापित किए गए एक ऐसे कीर्तिमान के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे वाकिफ होने के बाद आप बतौर भारतीय हमारे वैज्ञानिकों पर गर्व की अनुभूति करेंगे। आइए, अब आपको आगे इसके बारे में सबकुछ विस्तार से बताते हैं।

OneWeb partners with Isro to launch satellites using GSLV-MKIII, PSLV - The  Economic Times

इसरो वैज्ञानिकों का बड़ा कारनामा

दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने तमिलनाडु स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ओशनसैट-3 का प्रक्षेपण किया है। इसके अलावा भूटान के भूटान के एक उपग्रह समेत आठ लघु उपग्रहों यानी सैटेलाइट को पीएसएलवी-सी54/ईओएस-06 मिशन के तहत प्रक्षेपित किया। इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए इसरो सोमनाथन ने कहा कि पीएसएलवी-सी54 ने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह यानी अर्थ ऑबजर्वेशन सैटेलाइट और अन्य आठ उपग्रहों को लक्षित कक्षा में स्थापित करने में कामयाब रहा है। हालांकि, पूर्व में इस बात को लेकर संशय जताए जा रहे थे कि ऐसा कैसे हो पाएगा।

इसे मुश्किल कार्य के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि हमारे वैज्ञानिकों ने इस दुभर कार्य को बेहद ही सरलता कर दिखाया है, जिसके लिए उनकी जितनी प्रसन्नता की जाए, उतनी कम है। आपको बता दें कि इसरो के मुताबिक, यह प्रक्षेपण कार्य शनिवा 11 बजकर 56 मिनट पर किया गया। इसके अलावा एसएलवी-सी54 के जरिए ओशनसैट-3 और आठ लघु उपग्रह- भूटानसैट, पिक्सेल का ‘आनंद’, ध्रुव अंतरिक्ष के दो थायबोल्ट और स्पेसफ्लाइट यूएसए के चार एस्ट्रोकास्ट- प्रक्षेपित किए गए।

ISRO की एक और उपलब्धि,  ओशनसैट समेत 9 सैटेलाइट को एकसाथ किया लॉन्च

हालांकि, इससे पहले भी इसरो ने कई ऐसे प्रशंनीय कृत्य किए थे, लेकिन अद्भुत है, जिसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए ,उतनी कम है। गत 18 नवंबर को भी भारत का पहला निजी रॉकेट ‘विक्रम-एस’ तीन उपग्रहों को लेकर शुक्रवार को यहां अंतरिक्ष यान से रवाना किया गया था। इसे इसरो की नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। बहरहाल, अब बतौर भारतीय सभी की निगाहें इस बात पर टिकी रहेंगी कि इसरो वैज्ञानिकों का अगला कदम क्या रहता है।