नई दिल्ली। अगर आप भी ट्रेनों को संचालन को लेकर सही जानकारी नहीं पा रहे तो अब आपके लिए अच्छी खबर सामने आई है। दरअसल, भारतीय रेलवे ने अपने इंजन को इसरो के उपग्रह से जोड़ दिया है, जिससे उपग्रहों से मिली जानकारी से ट्रेन के बारे में पता लगाना, उसके आगमन और प्रस्थान स्वत: दर्ज होना आसान हो गया है।
इस मामले की जानकारी देते हुए रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव ने बताया कि रेलवे ने इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत ट्रेनों की सैटेलाइट द्वारा निगरानी की जा सकेगी। आपको बता दें कि देश भर में रेलवे के 350 सेक्शन कंट्रोल हैं जिसमें कपिल जैसे अधिकारी बेहतर सटीक तरीके से रेल को चलाने के फैसले ले रहे हैं। इस कामकाज में उनकी मदद इसरो का गगन कर रहा है। गगन वास्तव में GPS एडेड GEO ऑगमेंटेड सिस्टम है। शुरुआत में इसे वायु क्षेत्र के लिए डेवलप किया गया था, लेकिन अब यह हर 30 सेकेंड में ट्रेन की स्पीड और लोकेशन की जानकारी शेयर करता है।
Improving the efficiency of operations, Railways has introduced Satellite Tracking of trains.
By December 2021, the entire freight & passenger rail operations will be tracked through satellite, with the help of @ISRO pic.twitter.com/N9Ooei4Jda
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) July 23, 2020
इसको लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयलने ट्विटर पर ट्विट के जरिया बताया है कि ट्रेन परिचालन की दक्षता में सुधार करते हुए, रेलवे ने ट्रेनों की सैटेलाइट ट्रैकिंग शुरू की है। दिसंबर 2021 तक, पूरे माल और यात्री रेल परिचालन को ISRO की मदद से उपग्रह के माध्यम से ट्रैक किया जाएगा। नई प्रणाली से रेलवे को अपने नेटवर्क में ट्रेनों के संचालन के लिए अपने कंट्रोल रूम, रेलवे नेटवर्क को आधुनिक बनाने में मदद मिल रही है। इसमें आरटीआईएस युक्ति (डिवाइस) से इसरो द्वारा विकसित किए गए गगन जियो पोजीशनिंग सिस्टम से जोड़ा गया है। यह डिवाइस ही ट्रेनों की चाल और पोजीशन के बारे में बता रही है।
सूचना और तर्क के अनुप्रयोग पर आधारित युक्ति डिवाइस ट्रेनों के आवागमन से संबंधित आगमन, प्रस्थान, तय की गई दूरी, अनिर्धारित ठहराव और सेक्शन के बीच की जानकारी पहुंचा रही है। यह इसरो के एस-बैंड मोबाइल सैटेलाइट सर्विस के माध्यम से सीआरआईएस डाटा सेंटर के माध्यम से सेंट्रल लोकेशन सर्वर तक ला रही है।