
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत का कहना है कि भारत में यूं तो सदियों से त्याग की परम्परा रही है मगर भारत का शक्ति संपन्न होना भी बहुत जरूरी है। अगर शक्ति हो तो दुनिया प्रेम की भाषा भी सुनती है। उन्होंने कहा कि भारत का किसी से द्वेष नहीं है, लेकिन दुनिया तब ही प्रेम की भाषा सुनती है जब आपके पास शक्ति हो, यह दुनिया का स्वभाव है और इसे बदला नहीं जा सकता। यही कारण है कि भारत को विश्व का कल्याण करने के लिए शक्ति संपन्न होना अत्यधिक आवश्यक है। भारत की ताकत को अब विश्व देख चुका है।
VIDEO | Rajasthan: Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) chief Mohan Bhagwat arrives at Jaipur Airport.
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— Press Trust of India (@PTI_News) May 16, 2025
जयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान भागवत ने भारत के द्वारा पाकिस्तान पर की गई हालिया सैन्य कार्रवाई का जिक्र करते हुए यह बाते कहीं। भागवत बोले, भारत दुनिया का सबसे प्राचीन देश है। भारत की भूमिका हमेशा बड़े भाई की रही है। भारत ने हमेशा विश्व में शांति और सौहार्द का प्रचार किया है। विश्व का कल्याण ही हमारा धर्म है और विशेषकर हिंदू धर्म में तो यह कर्तव्य है। यह हमारी ऋषि परंपरा रही है, जिसे आज संत समाज आगे बढ़ा रहा है।
#WATCH | Jaipur, Rajasthan | RSS chief Mohan Bhagwat says, “…India will progress in every field; it should. India doesn’t have enmity with anyone, but if someone dares, India has the strength to teach them a lesson; it should have this strength. India does things which are… pic.twitter.com/esLvQrpi1u
— ANI (@ANI) May 17, 2025
भागवत ने कहा, भारत में भगवान श्रीराम से लेकर भामाशाह तक ऐसे बहुत से महापुरुष हुए जिनको हम पूजते हैं क्यों कि उन्होंने समाज के कल्याण के लिए बिना कुछ सोचे अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। संघ प्रमुख भागवत ने स्वर्गीय गुरु रविनाथ की पुण्यतिथि के अवसर पर जयपुर में स्थित गुरु रविनाथ आश्रम पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने संत समाज की प्रशंसा की। कार्यक्रम के दौरान भावनाथ महाराज के द्वारा मोहन भागवत को विशेष रूप से सम्मानित भी किया गया। मोहन भागवत अक्सर भारत की प्रचीन परम्परा आदि का जिक्र करते रहते हैं।