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Jagatguru Rambhadracharya: राम मंदिर बनने में जगद्गुरु रामभद्राचार्य की अहम भूमिका, सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में प्राचीन ग्रंथों से दिए थे 400 से ज्यादा सबूत

Jagadguru Rambhadracharya: हिंदुओं ने राम मंदिर को दोबारा हासिल करने के लिए लंबी जंग लड़ी है। इसमें खून भी बहा है और अदालतों में लंबे समय तक मुकदमा भी चलता रहा। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 में राम मंदिर के पक्ष में फैसला दिया था। इस फैसले में जगद्गुरु रामभद्राचार्य के सबूत अहम रहे थे।

अयोध्या। 500 साल के इंतजार के बाद भगवान रामलला आज से फिर अयोध्या में अपने मंदिर में भक्तों को दर्शन देने वाले हैं। कहा जाता है कि साल 1528 में तत्कालीन मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या आकर प्राचीन राम मंदिर को जमींदोज कर दिया था और फिर उसके ऊपर बाबरी मस्जिद तामीर कर दी थी। हिंदुओं ने राम मंदिर को दोबारा हासिल करने के लिए लंबी जंग लड़ी है। इसमें खून भी बहा है और अदालतों में लंबे समय तक मुकदमा भी चलता रहा। आखिरकार तमाम सबूतों की बिनाह पर सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में फैसला दिया कि अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर ही बनेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस अहम फैसले में एक बड़े संत की तरफ से दिए गए सबूतों ने अहम भूमिका निभाई थी।

सुप्रीम कोर्ट में वेद, पुराण, महर्षि वाल्मीकि के रामायण और अन्य ग्रंथों से अकाट्य सबूत देने का अहम काम तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने किया था। बचपन से ही नेत्रों की ज्योति गंवा चुके जगद्गुरु रामभद्राचार्य को सभी शास्त्र और धार्मिक ग्रंथ याद हैं। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद के अहम केस में सुनवाई के दौरान धार्मिक ग्रंथों से 441 प्रमाण दिए थे। उनके इन प्रमाणों में से 437 सही पाए गए। धार्मिक ग्रंथों से दिए गए इन सबूत से साबित हुआ कि विवादित जगह पर जहां बाबरी मस्जिद बनी थी, वहां पहले प्राचीन राम मंदिर था। जगद्गुरु रामभद्राचार्य के दिए इन सबूतों से केस की सुनवाई कर रहे 5 जजों में शामिल जस्टिस सैयद अब्दुल नजीर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने जगद्गुरु रामभद्राचार्य को डिवाइन यानी दैवीय शक्ति वाला तक कहा था।

तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने प्राचीन ग्रंथों से राम मंदिर के पक्ष में जो सबूत दिए थे, उनको आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। साथ ही एएसआई की तरफ से विवादित जमीन के नीचे प्राचीन मंदिर के मिले सबूतों को भी राम मंदिर के पक्ष में फैसले का आधार बनाया। यानी प्राचीन ग्रंथों से लेकर एएसआई के आधुनिक शोध तक को राम मंदिर बनने का श्रेय दिया जा सकता है। वरना सिर्फ बाबरी का नाम होने भर से हिंदू पक्ष ये साबित नहीं कर पाता कि वहां पहले मंदिर था।