नई दिल्ली। बीते दिनों हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा के बाद पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण मानते हुए जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके अलावा हिंदू संगठनों द्वारा दोबारा से शोभा निकालने के ऐलान पर आपत्ति जताते हुए भी छात्रों ने अपना आक्रोश जाहिर किया है। दरअसल, हिंदू संगठन ने नूंह में हुई हिंसा के बाद अब एक बार फिर यात्रा निकालने का ऐलान किया है, जिस पर यूनिवर्सिटी के छात्रों ने आपत्ति जताते हुए विरोध प्रदर्शन किया। बता दें कि इस प्रदर्शन में एनएसयूआई और आईसा जैसे छात्र संगठन शामिल हुए थे। छात्रों ने नूंह में हिंसा में संलिप्त आरोपियों और मोन मानेसर की गिरफ्तारी की मांग की। इस बीच छात्रों ने मीडिया से बातचीत के दौरान स्पष्ट कर दिया कि उनका यह विरोध प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा, जब तक आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती है। वहीं, प्रशासन की ओर से स्थिति की संवेदनशीलता को भांपते हुए मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है। इसके अलावा हर गतिविधियों पर पैनी निगाहें भी रखी जा रही हैं। फिलहाल, छात्रों का विरोध-प्रदर्शन शांतिपूर्वक जारी है। अब आगे यह प्रदर्शन क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।
Jamia Millia Islamia students protesting at Bab-e-Maulana Abul Kalam Azad Gate against the ethnic cleansing conducted by Haryana’s BJP government, demanding rebuild the homes that were bulldozed, arrest Monu Manesar, stop arresting innocent Muslims, and revoke all FIRs. pic.twitter.com/MAG3c4fDZo
— Mohd Abuzar Choudhary (@MohdAbuzarCh) August 24, 2023
वहीं, बात अगर नूंह हिंसा मामले में पुलिस कार्रवाई की करें, तो अब तक इस मामले में 62 प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है, जिसमें 12 एफआईआर उन लोगों के खिलाफ दर्ज की गई है, जिन पर सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगा है। इसके बाद नूंह हिंसा मामले में संलिप्त 292 लोगों की गिरफ्तारी भी का जा चुकी है। वहीं, बीते दिनों प्रशासन की ओर से हिंसा में संलिप्त आरोपियों के घरों को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया गया था, लेकिन लोगों का यह कहना है कि कार्रवाई राजनीतिक दुर्भावना से ग्रसित होकर की गई है। सिर्फ और सिर्फ विशेष समुदाय के लोगों को टारगेट करने को लेकर यह कार्रवाई की गई। महज विशेष समुदाय के लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाया गया, जबकि दूसरे समुदाय के लोगों को छोड़ दिया, जिसे लेकर ही आज जामिया के छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, प्रशासन ने छात्रों द्वारा लगाए जा रहे इन आरोपों को सिरे से खारिज कर कहा कि बुलडोजर कार्रवाई महज उन्हीं लोगों के खिलाफ की गई, जो हिंसा में संलिप्त पाए गए हैं। आइए, आगे पूरा माजरा जरा जान लेते हैं।
Jamia students are protesting against the violence that happened in Mewat.#Nuh pic.twitter.com/bASFh5HejJ
— naaz (@Naaz_6921) August 24, 2023
दरअसल, बीते दिनों हरियाणा के नूंह में शोभायात्रा के दौरान कथित तौर पर विशेष समुदाय की ओर से पथराव किया गया, जिसके जवाब में यात्रा में शामिल लोगों की ओर से पत्थरबाजी की गई, जिसके बाद स्थिति हिंसात्मक हो गई। जिसकी जद में आकर कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, तो वहीं कई जख्मी हो गए। अब जरा ये जान लेते हैं कि ये पथराव क्यों किया गया? क्योंकि, विशेष समुदाय को इस बात का शक था कि यात्रा में मोनू मानेसर शामिल है, जिसकी वजह से पथराव की कार्रवाई की गई। अब सवाल यह है कि मोनू मानेसर के यात्रा में शामिल होने से विशेष समुदाय के लोगों को क्या आपत्ति? दरअसल, मोन मानेसर ही वो शख्स है, जिस पर जुनैद और नासीर की हत्या का आरोप है। बता दें कि बीते दिनों गो-तस्करी के आरोप में जुनैद और नासीर की हत्या कर दी गई थी, जिसका आरोप मोनू मानेसर पर लगा था। लेकिन, आरोप है कि प्रशासन ने इसके खिलाफ कार्रवाई करने में कोताही बरती। वहीं, मोनू मानेसर ने बीते दिनों वीडियो जारी कहा था कि वो यात्रा में शामिल नहीं था। उसने यह भी कहा था कि जिस दिन यह शोभा यात्रा निकाली गई थी, उस दिन वो नूंह में ही नहीं था, लेकिन अब नूंह में भड़की हिंसा के बाद अब वो पुलिस की कार्रवाई की जद में आ चुका है। अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।