नई दिल्ली। दिल्ली में मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बीच चल रही हल्की-फुल्की नौक झौंक के बीच केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहूरकर ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होंने दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा सूचना का अधिकार कानून को लागू करने में असफल रहने की चर्चा की है। सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि सीआईसी के इस खत के बाद उपराज्यपाल सचिवालय ने दिल्ली के मुख्य सचिव को जल्द से जल्द ऐक्शन लेने के लिए कहा है। हालांकि, अभी इसपर दिल्ली सरकार की तरफ से तुरंत कोई अधिकारिक बयान इस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना के ऑफिस से जुड़े एक सूत्र ने अधिक जानकारी देते हुए कहा, ‘केंद्रीय सूचना आयुक्त द्वारा जिस गंभीर विषय को उजागर किया गया है उसे देखते हुए उपराज्यपाल सचिवालय ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वो इस मामले में कानून के मुताबिक जल्द से जल्द ऐक्शन लें। इस खत में बताया गया है कि कुछ विभाग मसलन- रेवेन्यू, पीडब्लूडी, कोऑपरेटिव तथा स्वास्थ्य और इलेक्ट्रिसिटी से जुड़े कुछ ऐसे विभाग जो सीधे जनता से जुड़े हैं वो या तो आम जनता के सवालों को काफी दिनों तक टाल देते हैं या फिर सूचना देने से इनकार कर देते हैं।
सूत्रों के हवाले से यह भी कहा गया है कि जनता को गुमराह करने के लिए गलत सूचनाएं भी दी जाती हैं। गौरतलब है कि सूचना का अधिकार कानून 2005 में बनाया गया था। इसके तहत आम जनता गोपनीय जानकारी और देश की सुरक्षा सम्बंधित मामलों को छोड़कर किसी भी विषय में सरकार से सूचना मांग सकते हैं।
इस बारे में दिल्ली सरकार के द्वारा गड़बड़ी के आरोप पर आयुक्त ने इस खत में यह भी कहा है कि जन सूचना अधिकारी कमिशन के पास उपस्थित नहीं होते और ना ही अपने किसी स्टाफ या अन्य कर्मचारियों को यहां भेजते हैं। इस खत के साथ-साथ सीआईसी ने कुछ ऐसे कागजात भी अटैच किये हैं जिससे पता चलता है कि सूचना देने में लापरवाही बरती गई या फिर गलत जानकारी दी गई। सूचना का अधिकार हर व्यक्ति का जरूरी अधिकार है इसमें गलत जानकारी के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।