newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Kerala: केरल HC ने 30 हफ्ते की प्रेग्नेंट नाबालिग को दी अबॉर्शन की इजाजत, चाइल्ड प्रेग्नेंसी पर कोर्ट ने जताई चिंता

Kerala: सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायलय के एक फैसले को पलटते हुए अविवाहित महिला को 24 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन कराने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि महिला शादीशुदा नहीं है, केवल इस वजह से उसे अबॉर्शन करवाने से नहीं रोका जा सकता।

नई दिल्ली। केरल उच्च न्यायलय ने नबालिग लड़कियों के गर्भवती होने के बढ़ते मामलों पर अपनी चिंता जाहिर की है। न्यायलय ने कहा की इंटरनेट का गलत इस्तेमाल बच्चों पर गलत असर डाल रहा है। इन घटनाओं की रोकथाम के लिए बच्चों की यौन शिक्षा पर दोबारा विचार किया जाना चाहिए। इसी के साथ केरल हाईकोर्ट ने 13 साल की 30 हफ्ते की प्रेग्नेंट लड़की को अबॉर्शन कराने की अनुमति दी है। चाइल्ड प्रेग्नेंसी के बढ़ते मामलों पर कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट पर पोर्न आसानी से मिल जाता है इससे आजकल के युवाओं पर बहुत गलत असर पड़ रहा है।

उच्च न्यायलय के जस्टिस वी.जी. अरुण ने कहा कि 13 साल की लड़की के अबॉर्शन पर फैसला सुनाने से पहले इस तरह की घटनाओं यानि कि नाबालिग बच्चियों के गर्भवती होने के मामलों में हो रही बढ़ोतरी पर बात करना ज्यादा जरुरी है। चाइल्ड प्रेग्नेंसी के ज्यादातर मामलों में करीबी रिश्तेदार शामिल होते हैं।

आसानी से मिल जाती है अश्लील सामग्री

बीते गुरूवार को हुई सुनवाई में केरल हाईकोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफार्म पर आसानी से मिलने वाली अश्लील सामग्री के कारण युवाओं को गलत चीज़ें मिल रही हैं। ऐसे में युवाओं को इंटरनेट के सुरक्षित इस्तेमाल के बारे में बताना बेहद जरुरी है। कोर्ट ने आगे कहा कि अब समय आ गया है कि स्कूलों में दी जाने वाली यौन शिक्षा पर दोबारा विचार किया जाए। 13 साल की एक नाबालिग लड़की को उसके ही नाबालिग भाई ने प्रेग्नेंटकर दिया था। जिसके बाद जस्टिस अरुण ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए 13 साल की इस नाबालिग लड़की को अबॉर्शन की अनुमति दी।

SC ने 24 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन की दी थी अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायलय के एक फैसले को पलटते हुए अविवाहित महिला को 24 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन कराने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि महिला शादीशुदा नहीं है, केवल इस वजह से उसे अबॉर्शन करवाने से नहीं रोका जा सकता। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एम्स के डायरेक्शन में 22 जुलाई तक एक पैनल बनाने और अबॉर्शन से जुड़ी हर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी दिया है।