newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Cong Prez race: खड़गे की अंतिम क्षणों में एंट्री, लेकिन प्रस्तावकों में पार्टी के कई कद्दावर नेता; ‘मैच फिक्सिंग’ की चर्चा तेज

Congress: इसी बीच कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर चुनावी शंखनाद हो चुका है। लेकिन, अब सवाल यह था कि आखिर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्य़क्ष पद की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाए। पहले इस पद को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम चर्चा में आया था।

नई दिल्ली। कभी बदहाली तो कभी सियासी खींचतान तो कभी राजनीतिक मारमारी को लेकर सुर्खियों की दुनिया में तहलका मचाने वाली देश की सर्वाधिक पुरानी पार्टी कांग्रेस आजकल राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सुर्खियों में है। सभी की जुबां पर बस एक ही सवाल है कि आखिर कौन बनेगा देश की सबसे पुरानी पार्टी का अध्यक्ष? परिवारवाद नामक बीमारी से पीड़ित कांग्रेस की कमान अपने हाथों में लेने से राहुल गांधी तो साल 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त झेलने के बाद ही इनकार कर चुके हैं। हालांकि, इस बीच पार्टी कार्यकर्ताओं ने मान-मनौवल की पूरी कोशिश की, लेकिन अपने फैसले पर अडिग हैं कि अब कोई कांग्रेस का अध्य़क्ष होगा, तो गैर-गांधी परिवार का ही होगा।

Digvijay Singh Mallikarjun Kharge Shashi Tharoor Can File Nominations Congress President Election 30 September | कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव: नामांकन का आज आखिरी दिन, दिग्विजय-थरूर के बाद रेस में ...

इसी बीच कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर चुनावी शंखनाद हो चुका है। लेकिन, अब सवाल यह था कि आखिर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्य़क्ष पद की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाए। पहले इस पद को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम चर्चा में आया था। लेकिन बीते गुरुवार को उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद जहां चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया तो वहीं मुख्यमंत्री पद को लेकर सारे नीतिगत निर्णय आलाकमान पर छोड़ दिए। उधर, इसके बाद दिग्विजय का नाम सुर्खियों में आया लेकिन उन्होंने भी अपने कदम पीछे खींच लिए और इस तरह से अब अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस के दो दिग्गिज नेताओं के बीच आपस में भिड़ंत होने जा रही है, जिमसें मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर का नाम शामिल है। बता दें कि खड़गे और थरूर नामांकन दाखिल कर चुके हैं और दिग्विजय अपने कदम पीछे खींच चुके हैं।

अब ऐसी स्थिति में नई बहस छिड़ चुकी है कि आखिर थरूर और खड़गे में कौन किस पर भारी पड़ने जा रहा है। हालांकि, पार्टी सूत्रों की मानें तो खड़गे के चुनाव जीतने की संभावना थरूर के मुकाबले ज्यादा है, चूंकि उन्हें पार्टी आलाकमान के समर्थन के उपरांत मैदान में उतारा गया है। अब ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या थरूर क्या बिना समर्थन के ही चुनावी मैदान में उतरे हैं। जवाब स्पष्ट है, बिल्कुल भी नहीं, तो भला कोई अपनी पार्टी की इजाजत के बगैर चुनावी मैदान में कैसे उतर सकता है। जवाब स्पष्ट है, नहीं उतर सकता है, तो अब सवाल है कि थरूर को कैसे उतार दिया गया है और अगर थरूर को उतारा गया, तो भला आप ऐसा कैसे कह सकते हैं कि खड़गे के जीतने की संभावना ज्यादा है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि खड़गे के समर्थन में कांग्रेस के 30 नेताओं ने प्रस्ताव रखा है, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि थरूर की तुलना में खड़गे को लेकर पार्टी में सहमति के आयाम ज्यादा है, तो फिर सवाल उठता है कि थरूर को क्यों उतारा गया ? तो इस सवाल के जवाब में सियासी पंडितों का कहना है कि थरूर को मैदान में उतारकर कांग्रेस यह दिखाना चाहती है कि यह लोकतांत्रिक तरीके से हो रहा है, लेकिन अंदरखाने की सच्चाई कुछ और ही है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर  फिक्सिंग हुई है। बहरहाल, अब आगामी दिनों में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्य़क्ष की कुर्सी पर कौन विराजमान होने जा रहा है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।