
नई दिल्ली। ये तय हो गया है कि चीन कभी भी आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान के खिलाफ भारत के साथ खड़ा होने वाला नहीं है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी का बयान इसी की तस्दीक करता है। वांग यी ने पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशहाक डार और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए अजित डोभाल से अलग-अलग बात कही। एक तरफ चीन ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि वो हर तरह के आतंकवाद का विरोध करता है। वहीं, इशहाक डार से बातचीत में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि उनका देश पाकिस्तान का लोहे जैसी मजबूती वाला दोस्त है। साथ ही वांग ने डार से ये भी कहा कि पाकिस्तान हर मौसम का रणनीतिक साझेदार है।
चीन का ये दोहरा चेहरा पहली बार नहीं आया है। इससे पहले जब भी भारत ने आतंकवाद के मसले और आतंकी आकाओं के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगवाने की कोशिश की, तो चीन उसमें हमेशा आड़े आया। चीन ने मसूद अजहर, हाफिज सईद वगैरा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की राह में रोड़ा अटकाया और पाकिस्तान की हर सरकार के साथ खड़ा रहा। इसकी बड़ी वजह भी है। चीन का काफी कुछ पाकिस्तान में दांव पर लगा है। पाकिस्तान में चीन का सीपीईसी का प्रोजेक्ट अभी पूरा नहीं हो सका है। उसमें अरबों युआन का खर्च चीन कर चुका है। वहीं, पाकिस्तान की सरकार ने चीन से भी काफी उधार ले रखा है और इसकी वापसी अभी नहीं हुई है।
चीन इसलिए भी भारत की जगह पाकिस्तान के साथ खड़ा रहता है, क्योंकि पाकिस्तान ने हड़पे गए पीओके का एक हिस्सा चीन को दे दिया था। इस कदम के जरिए पाकिस्तान ने चीन से अपना सीमा विवाद भी हल किया था और उसे अपना दोस्त भी बनाया था। अभी आतंकवाद की निंदा कर, लेकिन पाकिस्तान को लोहे जैसा दोस्त बताकर चीन दो तरफा चाल खेल रहा है। चीन की ये चालबाजी थमने के आसार इसलिए भी कम हैं, क्योंकि भारत ने लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के मामले में अपना सख्त रुख बरकरार रखा है। कुल मिलाकर चीन का हाथ पाकिस्तान की पीठ पर बने रहना आतंकवाद के खिलाफ भारत की लंबी जंग में सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो रहा है।