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One Nation One Election Bill: वन नेशन वन इलेक्शन बिल के जरिए संविधान के किन अनुच्छेद को जाएगा बदला?, जानिए सबकुछ

One Nation One Election Bill: वन नेशन वन इलेक्शन संबंधी बिल मंगलवार को लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है। पहले वन नेशन वन इलेक्शन का बिल सोमवार 16 दिसंबर को पेश होना था। बिल को पेश करने के बाद इसे जेपीसी को भेजा जाएगा। ताकि आम राय बनाई जा सके।

नई दिल्ली। वन नेशन वन इलेक्शन संबंधी बिल मंगलवार को लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है। पहले वन नेशन वन इलेक्शन का बिल सोमवार 16 दिसंबर को पेश होना था। बिल को पेश करने के बाद इसे जेपीसी को भेजा जाएगा। ताकि आम राय बनाई जा सके। जेपीसी में विपक्ष के सदस्य भी होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन बिल के जरिए संविधान में 82ए का नया अनुच्छेद जोड़ा जाएगा। इसके अलावा अनुच्छेद 83 यानी संसद के सदनों का कार्यकाल, अनुच्छेद 172 यानी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल और अनुच्छेद 327 यानी निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन में भी बदलाव किया जाना है।

वन नेशन वन इलेक्शन का प्रस्ताव पीएम नरेंद्र मोदी ने 2019 में स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में सबसे पहले दिया था। 2024 के स्वतंत्रता दिवस संबोधन में भी मोदी ने वन नेशन वन इलेक्शन कानून का जिक्र किया था। मोदी सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन पर कमेटी बनाई थी। इस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे। रामनाथ कोविंद ने वन नेशन वन इलेक्शन पर अपनी सिफारिशों संबंधी रिपोर्ट मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंपी थी। सिफारिशों में कहा गया है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। इन चुनावों के 100 दिन के भीतर देश में सभी निकायों के चुनाव कराने की सिफारिश भी रामनाथ कोविंद कमेटी ने की है।

देश में साल 1967 तक लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ ही होते रहे थे। साल 1968 और 1969 में कुछ राज्यों की सरकारों का बीच कार्यकाल में ही पतन हो गया। इसके अलावा केंद्र में भी 1980 के दशक के बाद सरकारों के गिरने का क्रम देखा गया। इसके कारण लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग होने लगे। पीएम मोदी का कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन से समय भी बचेगा और इससे धन भी काफी कम खर्च होगा। देश के विकास के लिए वन नेशन वन इलेक्शन को भी पीएम मोदी और रामनाथ कोविंद कमेटी ने अहम बताया है।