नई दिल्ली। डिजिटल दौर में देश की युवा पीढ़ी अपने धर्म और संस्कृति की जड़ों से दूर होती जा रही है। देशभर में ऐसे अनेक प्राचीन मंदिर हैं जिनका इतिहास बेहद समृद्ध और गौरवशाली है लेकिन वो जानकारी के अभाव के कारण लुप्तप्राय हो चुके हैं। ऐसे ही मंदिरों की जानकारी को एक डिजिटल मंच पर समायोजित करने की मुहिम का नाम है ‘जानें अपने मंदिर’। एम3 मीडिया फोरम की तरफ से मंदिरों की जानकारी डिजिटल तकनीक तक पहुंचाने का अभियान शुरू किया गया है। मंगलवार को नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में हुए एक कार्यक्रम में इसके तहत एक वेबसाइट Templesnet.com और एप लॉन्च किया गया। इस वेबसाइट को M3 मीडिया के सर्वेसर्वा संजय मिश्रा और उनकी टीम ने मिलकर तैयार किया है। वेबसाइट लॉन्चिंग कार्यक्रम का आयोजन भी संजय मिश्रा के नेतृत्व में ही किया गया।
वेबसाइट लॉन्च कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आनंदपीठाधीश्वर स्वामी बालकानंद गिरी जी महाराज शामिल हुए उनके अलावा त्रिपुरा के पूर्व सीएम और बीजेपी के हरियाणा प्रभारी बिप्लब कुमार देब, अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, विश्व हिंदू परिषद के महासचिव मिलिंद परांडे, अंतर्राष्ट्रीय पहलवान दंगल गर्ल बबीता फोगाट और पानीपत के प्रेम मंदिर की प्रमुख कांता महाराज शामिल हुईं। कार्यक्रम में वेबसाइट के अलावा एप और थीम सॉन्ग भी लॉन्च किया गया।
इस दौरान मुख्य अतिथि स्वामी बालकानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि ये काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था। हमारी युवा पीढ़ी को जागरूक करने के लिए एक एक मंदिर की जानकारी उन्हें दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने इस कार्य के लिए संजय मिश्रा की टीम की सराहना की। पानीपत के प्रेम मंदिर की प्रमुख कांता देवी ने कहा कि जैसे आप टीवी पर गंगा के दर्शन कर सकते हैं लेकिन गंगा की शीतलता का अनुभव नहीं कर सकते वैसे ही भगवान तो कण कण में हैं लेकिन आध्यात्मिकता अनुभव करने के लिए मंदिर जाना जरूरी है। पहलवान और बीजेपी की नेता बबीता फोगाट ने कहा कि, हमारा जो इतिहास हमसे छुपाया गया वो अब पता चलेगा। मंदिर में जाते वक्त उसका इतिहास आपको पता होना चाहिए। पीएम मोदी विदेशों से मंदिरों से सालों पहले चुराई गईं मूर्तियां वापस लेकर आए इसके लिए उनका आभार।
त्रिपुरा के पूर्व सीएम और राज्यसभा सांसद बिप्लब कुमार देब ने संजय मिश्रा के नेतृत्व में किए जा रहे इस प्रयास को सराहा। उन्होंने कहा कि मंदिरों को तोड़ने वालों में मुगल, तुगलक, लोधी, औरंगजेब जैसे आक्रांताओं का नाम सबसे ऊपर आता है। मुगलों को ये नहीं पता था कि सनातनी तो पर्वत की भी पूजा करता है, सूरज की भी पूजा करता है, अग्नि और वायु की भी वायु की भी पूजा करता है। जिन्हें वो कभी मिटा नहीं सकते। जब तक सूरज चांद है तब तक सनातन है। इस दौरान बिप्लब कुमार देब ने पीएम मोदी के नेतृत्व में मंदिरों के पुनरुत्थान के लिए हुए कामों की जमकर तारीफ की। साथ ही उन्होंने कम्युनिस्टों पर निशाना साधा। उन्होंने जो कम्युनिस्ट पहले सनातन धर्म का विरोध करते थे आज वो मंदिर में पूजा करते नजर आते हैं।
इस मौके पर विश्व हिंदू परिषद के महासचिव मिलिंद परांडे ने कहा कि 1000 वर्षों के कालखंड में मदिरों को नुकसान पहुंचाया गया हिंदुओं को ये जानने की जरुरत है। भविष्य में एक भी मंदिर ना टूटे इस बारे में हमें जागरूक बनना पड़ेगा। दक्षिण भारत में 30-35 हज़ार मंदिर सरकारी नियंत्रण में है, जबकि एक भी चर्च या मस्जिद पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। हिंदू समाज को सोचना होगा कि लोगों का दान हिंदू समाज के कल्याण के लिए खर्च हो रहा है या नहीं। हमें इतिहास से समझने की ज़रूरत है। मंदिरों को शिक्षा, शक्ति के केंद्र बनाने की जरूरत है। राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद लोग खुद को गर्व से हिंदू कहना सीखे। नागालैंड, मिजोरम जैसे राज्यों में आज हिंदू अल्पसंख्यक हैं इसलिए वहां मंदिर आसानी से नहीं मिलते। धर्म के अनुयायी नहीं रहेंगे तो कुछ भी नहीं बचेगा।
कार्यक्रम में अंतिम संबोधन देने आए जानें अपने मंदिर अभियान को जरूरी बताया। साथ ही कहा कि यह कार्य इस दौर में आसान नहीं है। आर्थिक चुनौतियां भी सामने आती हैं लेकिन हमसबको मिलकर इसे करना है। स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने मंदिरों के आर्थिक, आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि, आज भारत में 6 लाख गांव हैं और 20 लाख मंदिर हैं। जिनमें से हिंदू समाज के पास 11 लाख मंदिर हैं बाकी सिख, जैन और बौद्ध मंदिर हैं। आजादी के बाद सेक्युलर सरकारों ने मंदिरों पर कब्जा किया।
सरकार देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाना चाहती है। उसमें से अकेले 2 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी तो देश के 33 हजार से ज्यादा वो मंदिर बना सकते हैं जिनमें एक दिन में लाखों की संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। काशी कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद 2022 में ही काशी में 1 साल में 10 करोड़ लोग बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए आए। उन्होंने ओवरसीज़ कांग्रेस के नेता सैम पित्रोदा के अमेरिका में दिए बयान का जिक्र करते हुए कहा कि 35 करोड़ लोगों को तीर्थाटन से रोजगार मिलता है। ये उन लोगों को जवाब है जो अभी कह रहे थे कि भारत में राम की बात होती है, हनुमान की बात होती है, मंदिर की बात होती है लेकिन रोजगार की बात नहीं होती।
स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा कि पर्यटन और तीर्थाटन दो अलग अलग शब्द हैं। पर्यटन मौज के लिए होता है और तीर्थाटन मोक्ष के लिए। पहले के समय में शिक्षा, स्वास्थ्य, संपर्क और संस्कार मंदिर से चलते थे। जातीगत छुआछूत को सनातन धर्म से जोड़ने वालों पर करारा प्रहार करते हुए स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा कि छूआछूत सनातन धर्म की व्यवस्थाओं में है ही नहीं। पाकिस्तान में आटे के लिए भुखमरी है, उन्होंने अगर मां अन्नपूर्णा का मंदिर न तोड़ा होता तो आज उनकी ये हालत न हुई होती। मोदी जी 100 साल बाद मां अन्नपूर्णा की मूर्ति कनाडा से वापस लेकर आए। संबोधन के अंत में स्वामी जितेंद्रानंद ने सभागार में मौजूद लोगों से अपील करते हुए कहा कि बड़े मंदिरों के साथ साथ आप अपने मोहल्ले के निज मंदिरों में जरूर जाएं वहां झाडू लगाएं और हो सके तो सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ भी करें। उन्होंने जानें Know Your Temple के अभियान में हर संभव मदद का भरोसा भी दिया।