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Ram Temple Ramlala Pran Pratistha: राम मंदिर पूरा न बनने का विवाद खड़ा करने वालों को पढ़नी चाहिए ये खबर, जानिए सोमनाथ मंदिर में किन स्थितियों में हुई थी प्राण प्रतिष्ठा

Ram Temple Ramlala Pran Pratistha: अयोध्या यानी रामनगरी में 22 जनवरी को भगवान रामलला के नए विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इस प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान आज से शुरू हो रहे हैं। प्राण प्रतिष्ठा की तारीख घोषित होने के साथ ही तमाम विवाद भी खड़े हुए हैं।

नई दिल्ली। अयोध्या यानी रामनगरी में 22 जनवरी को भगवान रामलला के नए विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इस प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान आज से शुरू हो रहे हैं। प्राण प्रतिष्ठा की तारीख घोषित होने के साथ ही तमाम विवाद भी खड़े हुए हैं। इनमें से एक विवाद इस पर भी है कि राम मंदिर अभी पूरी तरह बना नहीं है, तो उसमें भगवान की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती। हालांकि, शृंगेरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ की तरफ से इस सवाल का जवाब दिया जा चुका है कि गर्भगृह बन जाए, तो उसमें विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्र सम्मत ही है। फिर भी राम मंदिर पूरा न बनने का विवाद अब भी गरमाया हुआ है। ऐसे में इतिहास पर भी नजर डालने की जरूरत है। इतिहास उस सोमनाथ मंदिर का है, जहां भगवान शिव के लिंग की प्राण प्रतिष्ठा का काम तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने खुद किया था। पहले आप सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित उस खबर को पढ़िए, जो अंग्रेजी अखबार द हिंदू में छपी थी।

इस खबर को पढ़कर ही आपको पता चल गया होगा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1951 में जब सोमनाथ मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लिया था और भगवान सोमेश्वर के नए लिंग की स्थापना हुई थी, तब सोमनाथ मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हुआ था। सोमनाथ मंदिर में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी उसका निर्माण जारी रहा। सोमनाथ मंदिर के शिखर पर कलश की स्थापना 1965 में हुई थी। यानी प्राण प्रतिष्ठा के 14 साल बाद सोमनाथ मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हुआ था। ऐसे में राम मंदिर पूरा न बनने और उसमें प्राण प्रतिष्ठा पर उठाए जा रहे सवाल बेमानी लगते हैं। अब जबकि सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित उस वक्त की खबर की कतरन भी सामने आ गई है, तो ये साफ है कि गर्भगृह बनने के बाद प्राण प्रतिष्ठा हो गई थी।

सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद (गोल घेरे में) ने की थी।

शृंगेरी मठ के शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ ने भी शास्त्र सम्मत विधि विधान से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने की बात कही है। कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती भी यही बात कह चुके हैं। स्वामी विजयेंद्र सरस्वती ने तो पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में भारत के हिंदू तीर्थस्थलों के विकास के लिए बहुत काम भी किया है। अब जबकि आज से भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान शुरू होने जा रहे हैं, तो उम्मीद है कि राम मंदिर से संबंधित सभी विवाद खत्म होंगे और देश में उल्लास के वातावरण में ये कार्यक्रम पूरा होगा।