नई दिल्ली। कांग्रेस के लिए इस बार का लोकसभा चुनाव बहुत अहम है। लोकसभा चुनाव जीतने के लिए राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस के सभी बड़े नेता दम लगा रहे हैं। राहुल गांधी जहां भारत जोड़ो न्याय यात्रा लेकर निकले हैं और पीएम नरेंद्र मोदी को तमाम आरोपों में घेर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य नेता भी मुद्दों को उठाकर जनता में अपनी पैठ बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। कांग्रेस के लिए इस बार का लोकसभा चुनाव जीवन-मरण का सवाल बन गया है। कांग्रेस अगर इस बार लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन न कर सकी, तो उसके साथ ही राहुल गांधी का भविष्य भी खतरे में पड़ सकता है। अब तक जो भी ओपिनियन पोल आए हैं, उनमें कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं दिख रहे हैं। हालांकि, राजनीति में कब क्या हो जाए, ये कहा नहीं जा सकता और कांग्रेस के दिन बहुर भी सकते हैं।
कांग्रेस लगातार 2 लोकसभा चुनाव बुरी तरह हार चुकी है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं। वहीं, 2019 में उसकी हालत थोड़ी सुधरी और पार्टी ने 52 सीटें हासिल की थीं। इस बार कांग्रेस ने 26 अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर गठबंधन बनाया है। यूपी में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 17 लोकसभा सीटें दी हैं। वहीं, गुजरात, दिल्ली और गोवा के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच समझौता हो चुका है। कांग्रेस के सामने ये दिक्कत भी है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी से उसका सीट बंटवारा नहीं हो सका। जबकि, बंगाल में ममता बनर्जी ने भी अपने दम पर सभी 42 लोकसभा सीटों पर टीएमसी को लड़ाने का एलान कर दिया है।
कांग्रेस को उम्मीद है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से उसे फायदा होगा, लेकिन इससे पहले की राहुल की यात्रा से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हुआ था। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस सिर्फ कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में ही विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रही। उसने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी के हाथ अपनी सरकार गंवा दी और मध्यप्रदेश का विधानसभा चुनाव भी पूरा दम लगाने के बावजूद जीत नहीं सकी। ऐसे में कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल कर राहुल गांधी को कद्दावर नेता के तौर पर सामने लाने का भी लक्ष्य है। मई में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आएंगे, तभी पता चलेगा कि कांग्रेस इस लक्ष्य को हासिल कर पाती है या नहीं।